How did the rain give relief to Kashmir in the harsh winter Why are meteorologists calling it a blessing कड़ाके की ठंड में हुई बारिश कश्मीर को कैसे दे गई राहत? क्यों वरदान बता रहे मौसम वैज्ञानिक, India Hindi News - Hindustan
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कड़ाके की ठंड में हुई बारिश कश्मीर को कैसे दे गई राहत? क्यों वरदान बता रहे मौसम वैज्ञानिक

  • पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से हुई इस बारिश से घाटी में ठंड तो बढ़ी लेकिन जल संकट की आशंका को भी कुछ हद तक कम किया है। मौसम वैज्ञानिक इसे घाटी के लिए एक संजीवनी मान रहे हैं।

Himanshu Tiwari पीटीआईFri, 28 Feb 2025 04:09 PM
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कड़ाके की ठंड में हुई बारिश कश्मीर को कैसे दे गई राहत? क्यों वरदान बता रहे मौसम वैज्ञानिक

कश्मीर घाटी में लंबे समय से सूखे जैसे हालात बने हुए थे, लेकिन हाल ही में हुई जबरदस्त बारिश ने यहां के लोगों को बड़ी राहत दी है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से हुई इस बारिश से घाटी में ठंड तो बढ़ी लेकिन जल संकट की आशंका को भी कुछ हद तक कम किया है। मौसम वैज्ञानिक इसे घाटी के लिए एक संजीवनी मान रहे हैं, क्योंकि इसने बारिश की कमी को 80 प्रतिशत से घटाकर 42 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि यह पूरी समस्या का हल नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह बारिश कश्मीर के जल स्रोतों के लिए हालिया बारिश किसी वरदान से कम नहीं।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सर्दियों अवधि के दौरान में सामान्य रूप से 15.5 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार जम्मू-कश्मीर में 78.4 मिमी वर्षा हुई, जो सामान्य से 407 प्रतिशत अधिक है। इससे पहले, पूरे प्रदेश में बारिश की कमी 80 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 42 प्रतिशत रह गई है। जम्मू क्षेत्र के उधमपुर जिले में सामान्य से 1,891 प्रतिशत अधिक बारिश हुई, जबकि कश्मीर घाटी के गांदरबल जिले में यह आंकड़ा 511 प्रतिशत ज्यादा रहा।

अब भी बारिश की कमी बरकरार

मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, जनवरी और फरवरी के महीनों में सामान्य रूप से 225.4 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन इस बार मात्र 131.5 मिमी बारिश हुई, जिससे कुल 42 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। हालांकि यह कमी पहले के 80 प्रतिशत के आंकड़े से बेहतर है, लेकिन कश्मीर में सूखे की स्थिति को देखते हुए मौसम वैज्ञानिक इसे सिर्फ अस्थायी राहत मान रहे हैं। गौरतलब है कि कश्मीर का कुलगाम जिला 69 प्रतिशत वर्षा की कमी के साथ सबसे ज्यादा प्रभावित है, जबकि सांबा जिले में यह कमी शून्य प्रतिशत है।

मौसम वैज्ञानिकों ने बताया संजीवनी

मौसम विशेषज्ञ फैजान आरिफ के मुताबिक, यह पश्चिमी विक्षोभ कश्मीर के लिए बेहद जरूरी था। उन्होंने कहा, "हालांकि, यह शुष्क मौसम की स्थिति को पूरी तरह नहीं बदल सकता, लेकिन इस बारिश ने काफी राहत दी है।" उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चिंता जताते हुए कहा कि यह समस्या अभी भी उतनी ही गंभीर बनी हुई है। आरिफ ने कहा, "हमें तत्काल और ठोस जलवायु नीति की जरूरत है। जलवायु संकट से निपटने के लिए अभी निवेश करना भविष्य में होने वाले बड़े नुकसान और आपदाओं से बचने के लिए जरूरी है।"

पिछले साल सबसे सूखा रहा कश्मीर

जम्मू-कश्मीर के लोगों की चिंताएं इसलिए भी बढ़ी थीं, क्योंकि 2024 राज्य के इतिहास में सबसे सूखा साल साबित हुआ। प्रदेश में लगातार पांचवें साल सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई। 2024 में सिर्फ 870.9 मिमी बारिश हुई, जबकि वार्षिक औसत 1,232.3 मिमी होता है। इससे पहले, 2023 में 1,146.6 मिमी बारिश हुई थी, जो सामान्य से 7 प्रतिशत कम थी। बारिश की कमी का असर यह हुआ कि कई जल स्रोतों का जलस्तर शून्य स्तर से नीचे चला गया। दक्षिण कश्मीर में कई प्राकृतिक झरने पूरी तरह सूख गए।