दिल्ली में बलात्कार या झूठ का जाल? चार साल में सिद्ध हुए 133 मामले; एक महिला ने दर्ज कराए 8 फर्जी केस
आरटीआई में सामने आया है कि सामान्य तौर पर ऐसे दोषों के सिद्ध होने की दर बहुत कम है, करीब 4.3 फीसद। बताया गया है कि आंकड़ों में बढ़ोतरी की वजह झूठे रेप केस के मामले दर्ज होना भी है।

अक्सर मीडिया में, खासकर इंटरनेशनल मीडिया में चल रही खबरों में 'दिल्ली को रेप कैपिटल' के तौर पर बताया जाता है। इस सच्चाई की जड़ तक जाने के लिए राजधानी के जिला कोर्ट से बलात्कार के बीते चाल साल के आंकड़ों को सूचना के अधिकार के तहत इकट्ठा करके विश्लेषण किया गया है। इसमें सामने आया है कि सामान्य तौर पर ऐसे दोषों के सिद्ध होने की दर बहुत कम है, करीब 4.3 फीसद। बताया गया है कि आंकड़ों में बढ़ोतरी की वजह झूठे रेप केस के मामले दर्ज होना है।
दिल्ली में कुल सात जिला न्यायालय हैं- राउज एवेन्यु कोर्ट, पटियाला हाउस, साकेत, तीस हजारी, रोहिणी, द्वारका और करकडडूमा हैं। सूचना के अधिकार के तहत राउज एवेन्यु और द्वारका कोर्ट को छोड़कर पांच अदालतों से 2021-2024 तक के 3097 रेप के मामले दर्ज किए गए हैं। इन दर्ज किए गए मामलों में से केवल 133 दोष सिद्ध पाए गए हैं।
दोषसिद्ध की दर कम होने की एक वजह पीड़िताओं का अपने बयान से मुकर जाना है। केवल रोहिणी और साकेत की अदालतों ने ऐसे आंकड़े उपलब्ध कराए, जिनमें बयान वापस ले लिए गए थे। जबकि अन्य अदालतों ने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत हम ऐसे आंकड़ों को एकट्ठा नहीं करते हैं।
मुकदमा दायर करने वाली महिलाओं को 83 करोड़ का मुआवजा बांटा गया है। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि मामला पूरी तरह झूठा था। वहीं अगर ऐसे मामलों की बात करें जिनमें महिलाओं ने झूठे मामले दायर किए थे, ऐसी महिलाओं से केवल 6 लाख रुपये वसूले गए थे। महिलाओं द्वारा लगाए गए आरोपों की बात करें तो अधिकांश मामलों में कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाए जाने की बात सामने आई है। मगर इसमें एक चौकाने वाली बात सामने आई है कि पुलिस इस कोल्ड ड्रिंक या बेहोशी की दवा की कोई जांच नहीं करती है।
रोहिणी निवासी शोनी कपूर ने इन आंकड़ो को जानने के लिए अदालतों में आरटीआई दाखिल की थी। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि बलात्कार के मामलों में गोपनीयता बरती जाती है, लेकिन एनजीओ द्वारा यह फैलाया गया है कि दिल्ली एक रेप कैपिटल है- इसके पीछे की वजह एनजीओ द्वारा मिलने वाले फंड को सुरक्षित रखना है। शोनी कपूर ने कहा कि इससे न्यायालय का समय और करदाताओं के पैसे बर्बाद होते हैं। इसलिए झूठे रेप केस को दर्ज कराने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन होना चाहिए।
आंकड़ों को जब गौर से देखा गया तो पता चला कि सीरियल रेप केस की शिकायतों के मामले बढ़ रहे हैं। एक महिला एक से अधिक पुरुषों के खिलाफ अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए बलात्कार की शिकायत दर्ज करा देती है। आरटीआई से सामने आए डाटा से पता चला है कि कोर्ट ने इस तरह के फर्जी केस दर्ज कराने वाली केवल पांच महिलाओं के खिलाफ ही शिकायत दर्ज कराई है।
साल 2014 से 2022 के बीच एक महिला ने सात तो वहीं दूसरी महिला ने बलात्कार के आठ केस दर्ज कराए। इस साल फरबरी में 64 साल के पूर्व आर्मी अफसर के बचाव में सुप्रीम कोर्ट आया, अधिकारी के खिलाफ 39 वर्षीय विवाहित महिला ने रेप का केस दर्ज कराया था, जिसे सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया। बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया, जब पता चला कि महिला ने साल 2014 से अब तक राजधानी के अलग-अलग पुलिस स्टेशन में आठ अन्य फर्जी मामले दर्ज कराए थे।