चलते-चलते : समंदर से प्लास्टिक के कचरे निकाल बना रहे सड़क
केरल के मछुआरे समुद्र से प्लास्टिक कचरा निकालकर उसे सड़कों के निर्माण में उपयोग कर रहे हैं। इस पहल से समुद्री प्रदूषण कम हो रहा है और स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। 2017 में शुरू हुई इस योजना...

तिरुअनंतपुरम, एजेंसी। केरल के मछुआरे समुद्र से प्लास्टिक कचरा निकालकर उसे सड़कों के निर्माण में उपयोग कर रहे हैं। इससे समुद्री प्रदूषण कम हो रहा है। रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं और सड़क निर्माण की लागत भी घट रही है। इस योजना की शुरुआत 2017 में केरल सरकार ने की थी। 1,000 से अधिक मछली पकड़ने वाली नौकाओं को नायलॉन बैग दिए गए ताकि मछुआरे समुद्र से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा कर सकें। अब तक 80,000 किलोग्राम से अधिक प्लास्टिक कचरा समुद्र से निकाला जा चुका है। इससे लगभग 135 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ है। इस पहल ने स्थानीय महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं, जिससे आर्थिक सशक्तिकरण हुआ है।
कोल्लम की सफलता से प्रेरित होकर पुनालुर और एराविपेरूर जैसे अन्य क्षेत्रों ने भी इस मॉडल को अपनाया है। यह पहल एक सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देती है। यहां अपशिष्ट को मूल्यवान संसाधनों में बदला जाता है। सरकारी विभागों और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग से यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक चल रहा है। साथ ही यह न केवल समुद्र को प्लास्टिक से मुक्त करने में मदद कर रही है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी दे रही है और पर्यावरण की रक्षा भी कर रही है। ऐस हो रहा काम प्लास्टिक संग्रहण: मछुआरे समुद्र से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करते हैं। छंटाई और सफाई: स्थानीय महिलाएं इस कचरे को छांटती, धोती और छोटे टुकड़ों में काटती हैं। सड़क निर्माण: प्लास्टिक को डामर के साथ मिलाकर सड़कें बनाई जाती हैं, जो अधिक टिकाऊ होती हैं और निर्माण लागत में 8–10% की बचत होती है।
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