2 हाथ लंबी मूंछ, हाथों में तलवार और भाले; जयपुर में निकली गणगौर माता की शाही सवारी- देखिए फोटो
- इस शाही सवारी में हाथी, घोड़े और ऊंट पर सवार होकर लोग राजसी ठाठ-बाठ से निकले। उनके हाथों में तलवार और भाले थे। कई सवार की मूंछे करीब 2 हाथ लंबी भी थीं।

राजस्थान के जयपुर में आज धूमधाम के साथ गणगौर माता की शाही सवारी निकाली गई। राजस्थान का गणगौर उत्सव भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए मनाया जाता है। इस शाही सवारी में हाथी, घोड़े और ऊंट पर सवार होकर लोग राजसी ठाठ-बाठ से निकले। उनके हाथों में तलवार और भाले थे। कई सवार की मूंछे करीब 2 हाथ लंबी भी थीं। जानिए क्या है गणगौर उत्सव और शाही सवारी से जुड़ी खास बातें।
राजसी ठाठ-बाठ से निकली शाही सवारी
गणगौर माता की शाही सवारी में राज्य के अलग-अलग हिस्सों से अनेक सांस्कृतिक कलाकार हिस्सा लेते हैं। कलाकार अपने नृत्य, संगीत और अलग अंदाज से लोगों का मन मोह लेते हैं। शोभायात्रा के दौरान ड्रोन से फूल बरसाए गए। जगह-जगह पर लोगों द्वारा गणगौर का स्वागत किया गया। बहरुपिया कलाकार, फोक डांस, लोक कलाकार जैसे तमाम कलाकारों ने अपने हुनर से सैलानियों का मन मोह लिया।
गणगौर उत्सव मनाने की वजह
इस दिन कुंवारी लड़कियां और शादी शुदा महिलाएं शिवजी और पार्वती जी की पूजा करती हैं। और 'गोर गोर गोमती' गीत गाती हैं। गण यानी शिव और गौर यानी पार्वती। एक तरफ कुंवारी लड़कियां अपना मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं तो वहीं विवाहित महिलाएं व्रत करके अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।
गणगौर उत्सव कहां मनाया जाता है?
गणगौर महोत्सव की धूम केवल जयपुर ही नहीं बल्कि जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर समेत राज्य के अन्य हिस्सों में भी निकाली गई। इसे और सही से समझाया जाए तो यह त्योहार न केवल राजस्थान में बल्कि इसके सीमावर्ती राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के निमाड़, मालवा, बुंदेलखंड और ब्रज क्षेत्रों में भी मनाया जाता है।
गणगौर माता की शाही सवारी के दृश्य-


