बोले बिजनौर : बिना गुरु क्रिकेट में नाम कैसे करें रोशन
Bijnor News - बिजनौर जिले के नेहरू स्टेडियम में क्रिकेट कोच की कमी और संसाधनों की कमी से युवा खिलाड़ियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। खिलाड़ियों ने मांग की है कि उन्हें प्रैक्टिस के लिए मुफ्त में क्रिकेट...

हर कोई चाहता है कि उसका बच्चा क्रिकेट में आगे बढ़कर भारतीय टीम में शामिल हो और जिले का नाम रोशन करे। बच्चों को क्रिकेट में मंजिल तक पहुंचाने का सपना तो सभी अभिभावक देख रहे हैं लेकिन संसाधनों का अभाव और क्रिकेट का हुनर सिखाने वाले गुरु का ना होना बड़ी समस्या पैदा कर रहा है। जानकर ताज्जुब होगा कि बिजनौर जिले के एक मात्र नेहरू स्टेडियम में क्रिकेट कोच ही नहीं है। बिना गुरु कैसे कोई बच्चा भारतीय टीम में शामिल होकर जिले का नाम रोशन करेगा। नेहरू स्टेडियम में वरिष्ठ क्रिकेटर बच्चों को क्रिकेट का हुनर सिखा रहे हैं।
जहां हर कोई क्रिकेट में आगे बढ़ने का सपना देख रहा है वहीं जिले के लोगों को क्रिकेट कोच मिलने का बेसब्री से इंतजार है। आज के इस युग में युवा खिलाड़ियों का पसंदीदा खेल क्रिकेट है। युवा चाहते हैं कि क्रिकेट में नाम कमाया जाए। क्रिकेट में नाम कमाकर शोहरत और पैसा दोनों आसानी से मिल जाता है। इसी चाहत में काफी संख्या में क्रिकेट खिलाड़ी नेहरू स्टेडियम में क्रिकेट के गुर सीखने पहुंचते हैं। क्रिकेट खिलाड़ियों का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी समस्या नेहरू स्टेडियम में क्रिकेट का का कोच न होना है। यह समस्या नई नहीं पुरानी है। पिछले काफी समय से जिले में क्रिकेट कोच नहीं है। अब ऐसे में बिना गुरू के क्रिकेट में युवा कैसे आगे बढे़ंगे। आर्यमन, प्रियांशु, फरमान ,परवाज, धनंजय आदि खिलाड़ियों ने कहा कि नेहरू स्टेडियम में सबसे पहले क्रिकेट कोच होना चाहिए। एक नहीं कई समस्याओं से परेशान युवा क्रिकेटरों का कहना है कि हमें क्रिकेट मैच खेलने के लिए सप्ताह में एक दिन निशुल्क नेहरू स्टेडियम मिलना चाहिए। वही बिना पैसे के नेहरू स्टेडियम नहीं मिलता। खिलाड़ियों पर इतना पैसा नहीं है कि वह खेल के मैदान की फीस देकर मैदान ले सकें। खिलाड़ियों ने कहा कि नेहरू स्टेडियम में क्रिकेट पिज को काली मिट्टी से बनवाया जाए। जिला प्रशासन काली मिट्टी उपलब्ध कराने में मदद करें। काली मिट्टी अमरोहा से मंगाई जाए। काली मिट्टी की पिट बनने से बाउंस अच्छा रहता है। नेहरू स्टेडियम में काली मिट्टी से पिच नहीं बनी हुई है। क्रिकेट खिलाड़ियों ने कहा कि जिले में खेल के नाम पर एक अकेला नेहरू स्टेडियम ही है, जबकि जिले में 11 ब्लॉक है। जिले के सभी ब्लाकों में खेल के मैदान होने चाहिए। मिनी स्टेडियम बनेंगे तो खेल प्रतिभाएं आगे आएंगी। सोमिया, भार्गव, शाहवेज और करन आदि क्रिकेट खिलाड़ियों ने कहा कि जिले में बड़ी संख्या में खेल प्रतिभाएं है। अकेला खेल का मैदान होने पर खिलाड़ियों को दूर से नेहरू स्टेडियम आना पड़ता है। आर्थिक हानि होती है। सभी ब्लाकों में खेल का मैदान बनेंगा तो खिलाड़ियों को बड़ी राहत मिलेगी। साल भर में तीन बैट और तीन जोड़ी मिलें पैड क्रिकेट खिलाड़ियों ने कहा कि खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए साल भर में तीन बैट और तीन जोड़ी पैड निशुल्क मिलने चाहिए। अगर ऐसा होगा तो बड़ी राहत मिलेगी। काफी खिलाड़ी ऐसे है जो अच्छे बैट प्रैक्टिस के लिए नहीं ले पाते हैं। खेलकूद प्रोत्साहन समिति से मिलती है गेंद क्रिकेट खिलाड़ियों का कहना है कि खेलने के लिए गेंद मिलती है। जो गेंद मिलती है वह पर्याप्त नहीं होती। नियमित रूप से खेलने के लिए गेंद मिलती रहनी चाहिए। क्रिकेट एकेडमी खुले वरिष्ठ क्रिकेटर नागेन्द्र सारस्वत ने बताया कि क्रिकेट में खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए जिले में सरकारी क्रिकेट एकेड़ी खुलनी चाहिए। ऐसा होगा तो क्रिकेट खिलाड़ियों के सपनों को पंख लगेंगे और वह आगे बढ़ सकेंगे। चिह्नित की जाएं प्रतिभाएं वरिष्ठ क्रिकेटर मानव सचदेवा और नागेन्द्र सारस्वत ने कहा कि जिले में खेल प्रतिभाओं का खजाना है। जरूरत है तो सिर्फ खेल प्रतिभाओं को चिन्हित कर तरासने की। स्कूल इस ओर ध्यान दें। हमारी भी सुनो क्रिकेट कोच न होने से खिलाड़ियों को सही प्रशिक्षण नहीं मिल रहा है। स्टेडियम में कोच की तैनाती होनी चाहिए। -हर्षिता क्रिकेट खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए साल भर में तीन बैट तीन जोड़ी पैड निःशुल्क मिलनी चाहिए। - दिलिशा क्रिकेट खिलाड़ियों को प्रैक्टिस करने के लिए नियमित रूप से गेंद मिलनी चाहिए। गंेद की कमी के चलते खिलाड़ी पूरी तरह से प्रैक्टिस नहीं कर पाते है। -सोमिया क्रिकेट में युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक सरकारी एकेडमी खुलनी चाहिए। इससे खिलाड़ियों का भला होगा और खेल को भी प्रोत्साहन मिलेगा। -भार्गव अधिक से अधिक मिनी स्टेडियम बनाए जाए। जिससे खिलाड़ियों को खेलने के लिए खेल का मैदान उपलब्ध हो सके। - शाहवेज लगातार मैच न होने से खिलाड़ियों को गेम खेलने को नहीं मिलता है। स्टेडियम में समय-समय पर प्रतियोगिताए कराई जाए। जिससे खिलाड़ियों को लाभ हो। - करन खेल प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए स्कूलों में अभियान चलाकर प्रतिभाओं को तलाशा जाए और उन्हें तराशा जाए। छोटे कस्बों में भी प्रतिभाओं की भरमार है। - आदिल क्रिकेट देश का खेल बन गया है। गली-मोहल्लों में क्रिकेट की दीवानगी है। यदि सुविधाए मिले तो गली बाय पूरे देश में नाम रोशन करें। - लविश जिले में एक भी पिच काली मिटटी की नहीं बनी है। काली मिटटी की पिच अच्छा बाउंस लेती है। जिस पर खेलने से तेजी व बाउंस की अच्छी प्रैक्टिस हो जाती है। - रक्षित खिलाड़ियों को सप्ताह में एक बार बिना फीस दिए मैदान मिलना चाहिए। जिससे उन पर मैच खेलने के लिए आर्थिक दबाव न पड़े। - सुलभ जिले में क्रिकेट के अधिक से अधिक मैदान होने चाहिए। जिससे प्रतिभाओं को तराशा जा सके। -आर्यमन स्टेडियम में क्रिकेट के 30 खिलाड़ी रजिस्टर्ड है। जिले में क्रिकेट एकेडमी खुले तो खिलाड़ियों को फायदा होगा। - प्रियांशु काली मिट्टी से पिच बनाई जानी चाहिए। प्रशासन चाहे तो अमरोहा से काली मिटटी मंगवाकर पिच तैयार करा सकता है। - फरमान स्टेडियम में खिलाड़ियों को सुविधा के नाम पर सिर्फ गेंद और नेट मिलता है। जबकि सभी उपकरण खिलाड़ी को खुद खरीदने पड़ते है। -परवाज स्टेडियम के क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए काफी समय से कोई कोच नहीं है। स्टेडियम में स्थाई क्रिकेट कोच की नियुक्ति होनी चाहिए। - धनंजय खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम में शासन से क्रिकेट कोच की व्यवस्था की जाए। लंबे समय से क्रिकेट कोच नहीं है। नेहरू स्टेडियम में क्रिकेट पिच को काली मिटटी से बनवाया जाए और सप्ताह में एक बार क्रिकेट खिलाड़ियों को खेल का मैदान निशुल्क दिया जाए। -नागेन्द्र सारस्वत सीनियर खिलाड़ी सुझाव -नेहरू स्टेडियम के काली मिटटी की पिच बनवाई जाए। -जिले में मिनी स्टेडियम की तादाद बढ़ाई जाए। -स्टेडियम में स्थाई क्रिकेट कोच की नियुक्ति की जाए। -सप्ताह में एक दिन क्रिकेट खिलाड़ियों का मैदान निशुल्क दिया जाए। -अधिक से अधिक क्रिकेट एकेडमिया खोली जाए। शिकायतें -लंबे से नेहरू स्टेडियम में क्रिकेट कोच नहीं है। -खिलाड़ियों को सुविधा के नाम पर सिर्फ गेंद की जाती है। -खिलाड़ियों को निशुल्क नहीं दिया जाता है खेलने के लिए मैदान। -क्रिकेट खिलाड़ियों के खेलने के लिए पर्याप्त मैदान नहीं है। -सरकारी क्रिकेट एकेडमी नहीं है।
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