Justice Yashwant Verma s oath is against the constitution Allahabad High Court Bar angry with the secret ceremony संविधान के विरुद्ध है जस्टिस यशवंत वर्मा की शपथ, गुपचुप आयोजन से इलाहाबाद हाईकोर्ट बार नाराज, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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संविधान के विरुद्ध है जस्टिस यशवंत वर्मा की शपथ, गुपचुप आयोजन से इलाहाबाद हाईकोर्ट बार नाराज

कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट में शनिवार को गुपचुप तरीके से हुए शपथ से बार एसोसिएशन नाराज हो गया है। इस शपथ को संविधान के खिलाफ बताते हुए प्रस्ताव भी पास किया है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानSat, 5 April 2025 11:01 PM
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संविधान के विरुद्ध है जस्टिस यशवंत वर्मा की शपथ, गुपचुप आयोजन से इलाहाबाद हाईकोर्ट बार नाराज

कैश कांड में घिरे और दिल्ली हाईकोर्ट से स्थानांतरित न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को शनिवार सुबह इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश की शपथ दिला दी गई। परंपरागत तरीके से हटकर गुपचुप तरीके से ली गई शपथ से हाईकोर्ट बार एसोसिएशन नाराज हो गया है। इस शपथ को संविधान के खिलाफ भी बताते हुए प्रस्ताव भी पास किया है। हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने गुप्त तरीके से शपथ ग्रहण की निंदा करते हुए कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजे जाने के खिलाफ हमारे विरोध को देखते हुए भारत के प्रधान न्यायाधीश ने बार के सदस्यों से मुलाकात की और आश्वासन दिया कि न्यायिक प्रणाली की गरिमा को बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्रथमदृष्टया विश्वसनीय सबूत मिलने के बाद इन-हाउस जांच की जा रही है और हमें यह बताया गया कि यह जांच युद्ध स्तर पर की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबूतों से छेड़छाड़ या उन्हें नष्ट न किया जाए। और इसके बाद भी जस्टिस यशवंत वर्मा को गुप्त तरीके से शपथ ग्रहण करा दी गई। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश को शपथ दिलाना हमारी न्यायिक प्रणाली में एक सर्वोत्कृष्ट घटना है। संस्था में समान हितधारक होने के नाते वकीलों को इससे दूर नहीं रखा जा सकता।

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संविधान के विरुद्ध है यह शपथ: हाईकोर्ट बार

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि यह शपथ भारत के संविधान के विरुद्ध है, इसलिए एसोसिएशन के सदस्य असंवैधानिक शपथ से जुड़ना नहीं चाहते। बार ने जो संकल्प लिया, वह खुलकर कहा और इतना ही नहीं संकल्प की कॉपी भी सभी को भेजी। लेकिन बार यह समझने में विफल रही कि यह शपथ गुप्त क्यों ली गई। बार को यह समझाया गया कि व्यवस्था निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हर कदम उठा रही है लेकिन इस शपथ की सूचना बार को क्यों नहीं दी गई। यह एक ऐसा प्रश्न है, जिसने फिर से न्यायिक व्यवस्था में लोगों के विश्वास को खत्म कर दिया है। जिस तरह से न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को बार की पीठ पीछे शपथ दिलाई गई, उसकी स्पष्ट रूप से निंदा की जाती है।

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महासचिव ने चीफ जस्टिस को लिखा पत्र

हाईकोर्ट बार के महासचिव विक्रांत पांडेय ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कहा कि शपथ ग्रहण परंपरागत और निरंतर खुली अदालत में होता रहा है। अधिवक्ता समुदाय को इस बारे में जानकारी न देने से उनका इस संस्था में विश्वास खत्म हो सकता है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि वे मौलिक मूल्यों की रक्षा करें और इस संस्था की परंपराओं का पालन करें। विक्रांत पांडेय ने पत्र में लिखा कि अधिकांश न्यायाधीशों को भी उक्त शपथ में आमंत्रित/सूचित नहीं किया गया। इस प्रकार कानूनी और पारंपरिक रूप से न्यायमूर्ति वर्मा को दिलाई गई शपथ भ्रामक व अस्वीकार्य है। उन्होंने उक्त घटना की निंदा करते हुए मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को कोई प्रशासनिक या न्यायिक कार्य न सौंपें।

दो अन्य जजों की शपथ के लिए बार को आमंत्रण

हाईकोर्ट बार के उपाध्यक्ष अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी और एडवोकेट्स एसोसिएशन के पूर्व महासचिव देशरतन चौधरी ने बताया कि उड़ीसा हाईकोर्ट से स्थानांतरित जस्टिस अरिंदम सिन्हा व दिल्ली हाईकोर्ट से स्थानांतरित जस्टिस सीडी सिंह के शपथ ग्रहण समारोह के लिए रजिस्ट्रार जनरल ने आमंत्रण भेजा है। दोनों का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को दिन में 11 बजे चीफ जस्टिस के न्याय कक्ष में आयोजित किया गया है।