Electricity Supply Workers Risk Lives Without Safety Gear Urgent Need for Fair Compensation and Protection बोले बेल्हा : उचित मानदेय न पर्याप्त संसाधन, निगम की लापरवाही से हथेली पर जान, Pratapgarh-kunda Hindi News - Hindustan
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बोले बेल्हा : उचित मानदेय न पर्याप्त संसाधन, निगम की लापरवाही से हथेली पर जान

Pratapgarh-kunda News - बिजली निगम के संविदाकर्मी नियमित बिजली आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उन्हें सुरक्षा उपकरण नहीं मिलते। कई संविदाकर्मी जान गंवा चुके हैं और उन्हें समय पर मानदेय भी नहीं मिलता। निगम के...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रतापगढ़ - कुंडाMon, 5 May 2025 03:57 PM
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बोले बेल्हा : उचित मानदेय न पर्याप्त संसाधन, निगम की लापरवाही से हथेली पर जान

बिजली आपूर्ति नियमित होती रहे, इसमें विद्युत निगम के संविदाकर्मियों की भूमिका खासी अहम है। लोकल फॉल्ट से लेकर उपकेंद्रों पर आने वाली खराबी दुरुस्त कराने तक निगम के संविदाकर्मी जुटे नजर आते हैं। आधे-अधूरे संसाधन और बिना सुरक्षा उपकरण के काम करने वाले बिजली निगम के संविदाकर्मी अपनी जान हथेली पर रखकर काम करते हैं। हर कदम पर संविदाकर्मी खतरों से जूझकर बिजली आपूर्ति बरकरार रखने में सहयोग करते हैं। आए दिन इनके साथ हादसे भी हो रहे हैं जिसमें जिले के कई संविदा बिजलीकर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके बाद भी निगम की ओर से उन्हें पर्याप्त सुरक्षा उपकरण मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं।

सुरक्षित सर्विस की मांग करने वाले संविदाकर्मियों की निगम के अफसर सुनने को तैयार ही नही हैं। दिन रात लोकल फॉल्ट दुरुस्त करने में जुटे संविदाकर्मियों को मानदेय भी काम के सापेक्ष नहीं मिलता। संविदा बिजलीकर्मी चाहते हैं कि उचित मानदेय के साथ बेहतर सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करा दिए जाएं तो उनके जीवन की गाड़ी ट्रैक पर आ जाएगी। बिजली निगम के संविदाकर्मी सबसे अधिक आहत इस बात से हैं कि निगम के हर काम में वह प्रमुख भूमिका निभाते हैं लेकिन जब भी कोई हादसा होता है तो जिम्मेदार उनसे सीधा किनारा कर लेते हैं। कई बार ऐसा भी हो चुका है कि हादसा होने के बाद निगम के जिम्मेदार संविदाकर्मी को अपना कर्मचारी ही नहीं मानते। इस बात का मलाल जिले के अधिकतर बिजली संविदाकर्मी को है। बेल्हा के कुल साढ़े सात लाख बिजली उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति करने के लिए बिजली निगम की ओर से 64 उपकेंद्र स्थापित किए गए हैं। लोगों को बिजली आपूर्ति नियमित मिल सके, इसके लिए उपकेंद्रों पर करीब 1105 संविदाकर्मी नियुक्त किए गए हैं। जिले के इक्का, दुक्का उपकेंद्र ही हैं जहां निगम के नियमित लाइनमैन हैं शेष उपकेंद्रों के संचालन की पूरी जिम्मेदारी संविदाकर्मी भी उठा रहे हैं। बिना सुरक्षा उपकरण के काम करने वाले संविदाकर्मी जर्जर पोल, तार, बदलने का काम भी जान हथेली पर रख कर रहे हैं। इसके अलावा बिजली आपूर्ति निरतंर चलती रहे इसकी जिम्मेदारीभी संविदाकर्मियों पर ही है। बिजली निगम की ओर से सुरक्षा किट नहीं दिए जाने के कारण संविदाकर्मी हर दिन जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। बिजली निगम के अफसरों की अनदेखी का नतीजा भी संविदाकर्मियों को भुगतना पड़ रहा है। कई संविदाकर्मियों की मौत अफसरों की लापरवाही से हो चुकी है। इसके बावजूद संविदाकर्मी और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की समस्याओं पर निगम के जिम्मेदार गंभीर नही हैं। जिले के अलग-अलग विद्युत उपकेंद्र पर तैनात संविदाकर्मी बताते हैं कि सुरक्षा उपकरण नहीं मिलने के कारण हम हर कदम जोखिम उठाते हैं। हमें सुविधाएं देने का दावा महज कागज तक सीमित है। बिजली निगम के जिम्मेदार बिना सुरक्षा उपकरण के हमें लोकल फॉल्ट ठीक करने के लिए पोल पर चढ़ा देते हैं। ऐसे में हम मजबूरी में जान जोखिम में डाल कर बिजली आपूर्ति सुधारते हैं। हादसा होने पर बिजली संविदाकर्मी के परिवार वालों को कोई सरकारी सहायता भी नहीं दी जाती। सबसे अहम बात यह कि जिस अधिकारी के लिए हम अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर काम करते हैं वह भी सांत्वना देने घर नहीं जाता। निगम के अफसरों का यह रवैया हम संविदाकर्मियों को परेशान करता है लेकिन बेरोजगारी के चलते हम काम करते हैं। उत्तर प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन संविदा एवं निविदा कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी कहते हैं कि संविदाकर्मियों के लिए कागज में तमाम नियम और सुविधाएं हैं लेकिन इनका वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं है। हादसे में जान गंवाने वाले संविदाकर्मियों के आश्रितों को पांच से साढ़े सात लाख रुपये की सहायता त्वरित मिलनी चाहिए। इसी तरह हादसे में घायल पीड़ित संविदाकर्मी को सुविधा संपन्न अस्पताल में इलाज मिलना चाहिए। मौत होने पर श्रम विभाग में पंजीकरण अपडेट होने की स्थिति में अलग से पांच लाख रुपये की राशि मिलने का प्राविधान है। कर्मचारी के शारीरिक रूप से अपंग होने पर पेंशन देने का नियम है। काम करने वाले संविदाकर्मी को रबर के दस्ताने, प्लास, पेचकस, टेस्टर, झूला, सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, जूता अनिवार्य है। सुरक्षा किट के बिना ही 30 से 40 फीट की ऊंचाई पर काम करने वाले कर्मचारी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। नियमानुसार संविदा कर्मचारी को ईपीएफ, ईएसआई की सुविधा मिलनी चाहिए। जिससे हादसा होने पर सम्बंधित संविदाकर्मी को सरकारी मदद के साथ इलाज की सुविधा मिल सके। बावजूद इसके जिम्मेदारों की ओर से शासन से मिलने वाले बजट का बंदरबांट कर लिया जाता है और बिना सुरक्षा किट संविदाकर्मियों को काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। अधिकारी मशीन की तरह लेते हैं काम बिजली निगम के संविदाकर्मी अपना दर्द बयां करते हुए कहते हैं कि हमारी समस्याओं को जानना और उनका समाधान करना निगम के अफसरों को पसंद नही है। पूरे महीने लगातार काम करने के बाद भी हमसे कोई नहीं पूछता कि मानदेय मिला कि नहीं। यदि किसी कर्मचारी ने एक दिन का अवकाश ले लिया तो मानदेय काट दिया जाता है। नियमित कर्मचारी की अपेक्षा हमसे अधिक काम लिया जाता है लेकिन सुविधाएं 50 फीसदी भी नहीं दी जातीं। हमारा भी घर परिवार हैं जिनकी देखभाल की जिम्मेदारी हम पर है। हमारे परिवार में भी कोई न कोई बीमार होता रहता है जिसके इलाज पर रुपय खर्च करने पड़ते हैं। यह समझने वाला निगम में कोई नहीं है। अधिकारियों को सिर्फ अपने काम से मतलब रहता है। जैसे हम कोई मशीन हों, जिसका स्विच ऑन करते ही वह चल पड़े और काम पूरा करने के बाद ऑफ कर उसे कोने में रख दिया जाए। सरकार नियमित कर्मचारियों की समस्या पर ही गंभीर होती है, संविदाकर्मियों की चिंता किसी को नहीं। लाइनमैनों को नहीं मिला सेंसरयुक्त हेलमेट जिले के संविदा विद्युत कर्मचारी बताते हैं कि हम अपनी जोन जोखिम में डाकलर लोगों के घर मे उजाला करते हैं लेकिन बिजली निगम के अफसर हमारी सुरक्षा को लेकर तनिक भी गंभीर नही हैं। हमें सेंसरयुक्त हेलमेट तो छोड़िए, साधारण सुरक्षा किट भी नहीं मिलती। सुरक्षा के नाम पर हमें कई वर्ष पहले साधारण हेलमेट, अर्थ चेन, प्लास आदि मिलते हैं जो पहले ही घिसकर अनुपयोगी हो चुके हैं। हम पुराने संसाधनों के भरोसे काम कर रहे हैं। दर्जनभर से अधिक संविदाकर्मी की हो चुकी है मौत बिजली संविदा मजदूर यूनियन के पदाधिकारी बताते हैं कि बीते कुछ वर्षों में अलग-अलग हादसों में जिले के दर्जनभर से अधिक बिजली संविदाकर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं। इसी तरह करीब आधा दर्जन कर्मचारी घायल और झुलस चुके हैं। इसके कुछ अपंग भी हो गए हैं। इसके बाद भी संविदा कर्मचारियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम निगम की ओर से नहीं किए जा रहे हैं। मोबाइल और पेट्रोल भत्ता से रखा गया है वंचित निगम की ओर से हमें मोबाइल और पेट्रोल भत्ता नहीं दिया जाता, जबकि हम फील्ड में दूर दूर तक बाइक से जाकर काम करते हैं। एक ही स्थान पर काम करने वाले नियमित कर्मचारी और संविदा कर्मचारी को अलग-अलग वेतन दिया जाता है। संविदा कर्मियों को न्यूनतम मानदेय 20 हजार मिलना चाहिए, साथ ही 60 वर्ष की उम्र तक काम करने की अनुमति मिलनी चाहिए। शासन से निर्धारित मानक के सापेक्ष तैनाती, अनुबंध की शर्त के अनुरूप कर्मचारियों को आठ घंटे, माह में 26 दिन काम लेने के अतिरिक्त काम करने पर अलग से मानदेय दिया जाना चाहिए। जान गंवाने वाले संविदाकर्मी को तत्काल मिले सहायता राशि उत्तर प्रदेश पॉपर कार्पोरेशन संविदा एवं निविदा कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी कहते हैं कि संविदा कर्मियों के लिए बनाए गए सभी नियम कागज तक सीमित हैं। हादसे में जान गंवाने वाले कर्मचारी के आश्रित को सहायता राशि मिलने में कई महीने लग जाते हैं। जबकि जिम्मेदारों को ऐसे समय में मृतक कर्मचारी के आश्रित को तत्काल सहायता राशि उपलब्ध करा देना चाहिए। इससे आश्रितों को कुछ हद तक राहत मिल सकेगी। मानदेय भुगतान की निर्धारित नहीं है तिथि जिले के संविदा बिजीली कर्मचारी बताते हैं कि हम दिन रात काम करते हैं लेकिन हमारे मानदेय भुगतान की कोई तिथि निर्धारित नहीं है। कई बार आधा महीना बीतने के बाद हमें मानदेय दिया जाता है, इससे परिवार का भरण पोषण करने में दिक्कत हो जाती है। जिन दुकानों से सामान लिया जाता है वह भी देर होने पर टोकना शुरू कर देते हैं। एक तो हमें बहुत कम मानदेय मिलता है, वह भी कभी समय पर नहीं मिलता। जिम्मेदारों को हमारी समस्या का समाधान प्राथमिकता से करना चाहिए। शिकायतें 0 बिना सुरक्षा उपकरण के काम करने वाले संविदाकर्मियों के लिए हर कदम पर खतरा बना रहता है। 0 नियमित काम करने के बाद भी संविदाकर्मियों को समय पर मानदेय नहीं मिलता, इससे आर्थिक संकट आ जाता है। 0 उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, इससे काम का लोड भी बढ़ रहा है लेकिन स्टाफ की कमी है। 0 बिजली निगम की ओर से संविदाकर्मियों का आईकार्ड जारी नहीं किया जाता, इससे फील्ड में समस्या आती है। 0 संविदा कर्मियों के लिए बिजली निगम की ओर से महीने में एक भी दिन का अवकाश निर्धारित नहीं किया गया है। 0 संविदा कर्मियों को ईएसआई की सुविधा से वंचित रखा गया है। इससे इलाज आदि में समस्या आती है। सुझाव 0 बिजली निगम के संविदाकर्मियों को कम से कम 20 हजार रुपये मानदेय और स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा मिलनी चाहिए। 0 संविदाकर्मियों से निर्धारित मानक के मुताबिक आठ घंटे ही काम लिया जाए। अतिरिक्त काम का अतिरक्त मानदेय मिलना चाहिए। 0 नियमित कर्मचारियों की तरह निगम की ओर से संविदा कर्मचारियों को भी सप्ताह में एक दिन का अवकाश दिया जाना चाहिए। 0 फील्ड में काम करते समय किसी तरह का हादसा होने पर संविदाकर्मी को कैशलेस उपचार और उचित मुआवजा मिलना चाहिए। 0 संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को बिजली निगम की ओर से पहचान बताने के लिए आई कार्ड जारी किया जाना जरा हमारी भी सुनिए... अन्य विभाग के संविदाकर्मियों की तरह बिजली निगम के संविदाकर्मियों को भी सुविधाएं मिलनी चाहिए। मानदेय बहुत कम होने के कारण परिवार का भरण पोषण करने में समस्या आती है। जिम्मेदारों को मानदेय बढ़ाने की पहल करना चाहिए। सत्यनारायण जिले में 1100 से अधिक बिजली निगम के संविदाकर्मी नियुक्त हैं। निगम के निजीकरण की चर्चा जोरों पर है, यदि निजीकरण हो गया तो सबसे बड़ा नुकसान संविदाकर्मियों का होगा। इस बात से संविदाकर्मी परेशान हैं हमें नौकरी जाने की चिंता सता रही है। सुरेन्द्र पाल बिजली निगम के संविदा कर्मचारियों की ड्यूटी सप्लाई मेंटेन करना है जबकि हमसे राजस्व वसूली सहित अन्य काम भी लिए जाते हैं। हमें मजबूरी में काम करना पड़ रहा है लेकिन अतिरिक्त कार्य कराने का भुगतान भी अलग से दिया जाना चाहिए। अनुज प्रताप सिंह बिजली निगम के संविदाकर्मियों को वैसे भी बहुत कम मानदेय दिया जाता है। वह भी कभी समय पर नहीं मिलता, इससे हमारे सामने आर्थिक समस्या आ जाती है। संविदाकर्मियों को हर हाल में महीने की सात तारीख तक मानदेय का भुगतान कर दिया जाए। त्रिपुरारी मिश्र बिजली निगम में लंबे समय से काम कर रहे संविदाकर्मियों को बिना कारण बताए हटा दिया जाता है यह सरासर गलत है। ऐसे अनुभवी कर्मचारी से निगम को हर हाल में फायदा ही मिलेगा। इससे संविदाकर्मियों में हमेशा नौकरी जाने का डर बना रहता है। वसी अहमद बिजली निगम के संविदा कर्मचारियों को काम के सापेक्ष मानदेय बहुत कम दिया जाता है। जबकि कर्मचारियों की ओर से मानदेय बढ़ाने की मांग लगातार की जा रही है। जिम्मेदारों को मानदेय बढ़ाने की पहल करना चाहिए जिससे हमारा शोषण न हो। जितेन्द्र यादव अनुरक्षण कार्य के लिए मानक के मुताबिक कर्मचारियों की तैनाती की जानी चाहिए। साथ ही बिजली बिल और विद्युत विच्छेदन और राजस्व वसूली के लिए अलग से कर्मचारी नियुक्त किया जाना चाहिए। जिससे काम का बोझ कम हो सके। विपिन पाल संविदाकर्मियों की करंट की चपेट में आने अथवा अन्य तरह के हादसों में मौत होने पर उनके परिजनों को बिजली निगम की ओर से कोई राहत नहीं दी जाती। ऐसे कर्मचारी के परिवार से किसी एक व्यक्ति को नौकरी पर रखा जाना चाहिए। लोकेश तिवारी बिना सुरक्षा उपकरण आधे अधूरे संसाधनों से काम करने के बाद भी निगम की ओर से संविदा कर्मियों का उत्पीड़न किया जा रहा है। यह किसी लिहाज से उचित नहीं है। इससे कर्मचारियों का मनोबल गिर रहा है और निगम का काम भी प्रभावित हो रहा है। विजय मौर्य किसी भी संविदा कर्मचारी को बिजली निगम की ओर से परिचय पत्र और ईएसआई कार्ड उपलब्ध नहीं कराया गया है। इससे फील्ड में जाने पर अपनी पहचान बताने में समस्या आती है। निगम के जिम्मेदारों को हमारे लिए परिचय पत्र जारी करना चाहिए। जयकिशन सिंह बिजली निगम के संविदाकर्मियों को हटाने से पहले कोई नोटिस अथवा सूचना नहीं दी जाती। अचानक हटाए जाने से कर्मचारी बेरोजगार हो जाता है जिससे उसके सामने आर्थिक संकट आ जाता है। इससे परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो जाता है। स्वामीनाथ प्रसाद दिन-रात जान जोखिम में डालकर बिजली आपूर्ति बहाल करने वाले संविदाकर्मियों के लिए सुरक्षा किट बेहद जरूरी है लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण हमें उपकरण नहीं मिल पाते। जिम्मेदारों को सुरक्षा किट प्राथमिकता से उपलब्ध कराना चाहिए। हरिकेश प्रजापति बोले जिम्मेदार संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं शासन से तय की गई हैं। मानक के मुताबिक सभी सहूलियतें मुहैया कराई जाती हैं। इसके अलावा संगठन के पदाधिकारियों से बातचीत कर उनकी समस्याओं का समाधान भी किया जाता है। प्रदीप सोनकर, प्रभारी अधीक्षण अभियंता

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