Taxi Operators in Haldwani Struggle with Traffic Jam and Unregulated Drivers बोले हल्द्वानी: स्टैंड से निकलते ही जाम में फंस जाते हैं टैक्सी चालक, Haldwani Hindi News - Hindustan
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बोले हल्द्वानी: स्टैंड से निकलते ही जाम में फंस जाते हैं टैक्सी चालक

हल्द्वानी में टैक्सी चालकों को काठगोदाम रेलवे स्टेशन से निकलते ही जाम और अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है। बाहरी टैक्सी चालकों का सत्यापन न होना और शटल सेवा को ठेके पर दिए जाने से स्थानीय चालकों...

Newswrap हिन्दुस्तान, हल्द्वानीFri, 18 April 2025 04:56 PM
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बोले हल्द्वानी: स्टैंड से निकलते ही जाम में फंस जाते हैं टैक्सी चालक

हल्द्वानी। काठगोदाम-हल्द्वानी से कुमाऊं के विभिन्न हिस्सों में टैक्सी का संचालन कर रहे चालक इन दिनों जाम और अव्यवस्थाओं से जूझ रहे हैं। टैक्सी संचालकों के अनुसार रेलवे स्टेशन से रवाना होते ही उन्हें जाम सहित कई तरह की अव्यवस्थाओं से जूझना पड़ता है। इसके अलावा बाहरी चालकों का सत्यापन नहीं होना, पुलिस जांच के दौरान हिल लाइसेंस नहीं जांचा जाना, बाहर से आ रहे निजी वाहन चालकों को पहाड़ों की तरफ जाने देना उनके रोजगार को प्रभावित कर रहा है। टैक्सी संचालकों के अनुसार बाहर से आने वाले वाहन चालकों को पहाड़ों में वाहन चलाने का अनुभव नहीं होता है। गलत तरीके से वाहन चलाकर वह अन्य वाहन संचालकों के लिए भी खतरा पैदा करते हैं। वहीं टैक्सी संचालकों के अनुसार काठगोदाम रेलवे स्टेशन स्थित स्टैंड पर निकासी और प्रवेश का द्वार एक ही होने के कारण भी समस्या हो रही है। बोले हल्द्वानी की टीम जब टैक्सी संचालकों के बीच पहुंची तो उन्होंने कई समस्याएं बताईं और उनके समाधान के लिए सुझाव भी दिए।

काठगोदाम रेलवे स्टेशन से यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाले टैक्सी संचालक अपने स्टैंड से निकलते ही जाम की समस्या से जूझने लगते हैं। संचालकों का कहना है कि अगर प्रशासन सख्ती के साथ व्यस्थाएं बनाए तो जाम और बदहाल यातायात व्यवस्था का समाधान निकल सकता है। संचालकों के अनुसार बाहरी टैक्सी चालक पर्वतीय क्षेत्रों में वाहन चलाने का अनुभव लिए बिना स्थानीय चालकों का रोजगार प्रभावित कर रहे हैं। इसके अलावा गलत तरीके से वाहन चलाकर भीमताल और भवाली के अलावा पहाड़ी मार्गों में जाम की समस्या उत्पन्न कर देते हैं। जाम के कारण कई बार स्थानीय टैक्सी चालकों को आधे रास्तों से लौटा दिया जाता है। ऐसे में उन्हें एक तो वापसी में फिर से जाम में फंसे रहना पड़ता वहीं दूसरी तरफ नया फेरा नहीं मिलने से दोहरी मार झेलनी पड़ती है। उनका कहना है कि इससे उनका कारोबार पूरी तरह प्रभावित हो जाता है। टैक्सी संचालकों के अनुसार प्रशासन को बाहरी वाहनों के लिए शटल सेवा काठगोदाम से शुरू करनी चाहिए। इस व्यवस्था को ठेकेदारी से दूर रखना चाहिए।

रेलवे स्टेशन से निकासी और प्रवेश द्वार अलग हों : रेलवे स्टेशन से निकासी और प्रवेश द्वार अलग नहीं होने से मुख्य सड़क पर लगने वाले जाम से टैक्सी संचालक परेशान हैं। उनका कहना है कि अगर काठगोदाम रेलवे स्टेशन से प्रवेश और निकासी के लिए दो मार्ग होते तो आसानी होती। टैक्सी चालकों का कहना है कि जैसे ही ट्रेन आती है, स्टेशन से बाहर निकलने वाले यात्रियों और अंदर जाने वालों की भीड़ एक ही रास्ते से गुजरती है, जिससे मुख्य सड़क तक जाम लग जाता है। इस कारण यात्रियों को समय पर गंतव्य तक पहुंचने में कठिनाई होती है और टैक्सी चालकों को भी आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ता है। टैक्सी यूनियन ने मांग की है कि स्टेशन परिसर में प्रवेश और निकासी के लिए अलग-अलग मार्ग बनाए जाएं, ताकि यातायात व्यवस्था सुचारु हो और जाम की समस्या से निजात मिले।

बाहरी टैक्सी चालक करते हैं डग्गामारी, नहीं होता सत्यापन: काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर टैक्सी संचालन को लेकर अव्यवस्था बढ़ती जा रही है। स्टेशन परिसर में बाहर से आने वाले टैक्सी चालक बिना किसी पंजीकरण या सत्यापन के यात्रियों को वाहन में बैठा रहे हैं। ये बाहरी चालक डग्गामारी कर न सिर्फ नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि अधिक किराया वसूल कर यात्रियों को भी परेशान कर रहे हैं। स्थानीय यूनियन से जुड़े चालकों का कहना है कि वे प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए कार्य करते हैं, लेकिन बिना अनुमति चल रही टैक्सियों की न तो कोई निगरानी है और न ही इनका पुलिस सत्यापन हुआ है। इससे सुरक्षा की दृष्टि से भी खतरा बना रहता है। टैक्सी यूनियन ने रेलवे प्रशासन और स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि स्टेशन पर सिर्फ पंजीकृत और सत्यापित टैक्सियों को ही संचालन की अनुमति दी जाए, ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और अवैध संचालन पर रोक लगाई जा सके।

बाहर से आने वाले वाहनों के लिए नहीं है पार्किंग: काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर बाहर से आने वाले निजी वाहनों के लिए पार्किंग की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। जिससे जाम की स्थिति बन जाती है। टैक्सी चालकों का कहना है कि स्टेशन पर जगह की कमी के कारण पार्किंग के लिए अलग स्थान तय करना मुश्किल है। ऐसे में गौलापार या रानीबाग जैसे क्षेत्रों में पार्किंग की वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है। इससे पहाड़ों पर जाने वाले वाहनों का दबाव कम होगा और मार्ग में जाम भी नहीं लगेगा।

शटल सेवा ठेके पर देने से प्रभावित होता है कारोबार : हल्द्वानी-काठगोदाम से पहाड़ी क्षेत्रों की ओर टैक्सी संचालन करने वाले स्थानीय संचालकों ने शटल सेवा को ठेके पर दिए जाने पर गहरी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में आवाजाही के लिए शटल सेवा की व्यवस्था स्वागत योग्य है, लेकिन इसे ठेकेदारी के तहत संचालित करना स्थानीय टैक्सी कारोबार के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। टैक्सी यूनियन के सदस्यों का कहना है कि यदि शटल सेवा को ठेके पर दिया गया, तो इसका सीधा असर स्थानीय टैक्सी चालकों की रोजी-रोटी पर पड़ेगा। ठेकेदारी व्यवस्था में बाहरी ऑपरेटरों को प्राथमिकता मिलने से स्थानीय वाहनों को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे छोटे स्तर पर टैक्सी चलाने वालों का व्यवसाय ठप होने की कगार पर पहुंच सकता है। संचालकों का कहना है कि सरकार या परिवहन विभाग यदि वास्तव में सुविधाजनक यात्रा देना चाहते हैं तो स्थानीय टैक्सी यूनियनों के साथ मिलकर साझेदारी मॉडल पर शटल सेवा शुरू की जाए। इससे न केवल यात्रियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि स्थानीय टैक्सी चालक भी इससे लाभान्वित होंगे।

टैक्सी संचालकों की पांच समस्याएं :

1. निकासी और प्रवेश के द्वार अलग नहीं होने से लगता है जाम

2. बाहरी टैक्सी चालक करते हैं डग्गामारी, नहीं होता सत्यापन

3. बाहर से आने वाले वाहनों के हिल लाइसेंस नहीं होते हैं चैक

4. शटल सेवा ठेके में दिए जाने से प्रभावित होता है कारोबार

5. नैनीताल में टीबी सीरीज नंबर के वाहनों पर प्रतिबंधित होने से दिक्कत

टैक्सी संचालकों के पांच सुझाव

1. रेलवे स्टेशन से निकासी और प्रवेश के द्वार अलग हों।

2. पहाड़ जाने वाले वाहनों के दस्तावेजों की जांच और सत्यापन हों

3. बाहरी वाहनों के लिए गौलापार और एचएमटी में बने पार्किंग

4. लोकल में चलने वाले वाहनों को पूरे टूर में न रोका जाए

5. शटल सेवा स्थानीय संचालकों के साथ मिलकर तय की जाए

टैक्सी संचालकों का दर्द

सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि बाहर से टैक्सी वाले बिना किसी परमिट और सत्यापन के सवारियां ढो रहे हैं। यह सरासर गैरकानूनी है और इससे हमारे जैसे स्थानीय चालकों का धंधा चौपट हो रहा है।

जयदीप सिंह चौहान

बाहर से जो प्राइवेट गाड़ियां और टैक्सियां आती हैं, उनके लिए पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। वे कहीं भी सड़क किनारे गाड़ियां खड़ी कर देते हैं, जिससे जाम लगता है और हम अपनी सवारियों तक समय पर नहीं पहुंच पाते।

बॉबीनाथ गोस्वामी

पार्किंग की कमी के कारण टैक्सी स्टैंड पर भी जगह नहीं मिलती। यात्री परेशान होते हैं और हमें भी अपनी गाड़ियां खड़ी करने में दिक्कत आती है। जिसकी वजह से जाम लगता है। पार्किंग बनाने से दिक्कत कम हो सकती है।

अब्दुल हुसैन

हमारे पास लोकल रूट का परमिट है, लेकिन टूर ऑपरेटर और कुछ प्रभावशाली लोग हमें टूर वाली सवारियां ले जाने से रोकते हैं। यह हमारे अधिकारों का हनन है। इसका समस्या का समाधान करना चाहिए।

अनजार खान

हमारा छोटा सा कारोबार है, लोकल सवारियों पर ही निर्भर रहते हैं। अगर हमें टूर में जाने से रोका जाएगा तो हम कैसे कमाएंगे। इसके साथ ही बिना हिल लाइसेंस वाली गाड़ियों को पहाड़ों में एंट्री नहीं मिलनी चाहिए।

देव ठाकुर

शटल सेवा शुरू होने से हमारी सवारियां बहुत कम हो गई हैं। पहले जो लोग टैक्सी बुक करते थे, अब शटल से चले जाते हैं। सरकार को हमारे बारे में भी सोचनी चाहिए। ऐसे में हमारा धंधे पर असर पड़ रहा है।

मुकेश

रेलवे स्टेशन में एक ही रास्ते से एंट्री और एग्जिट होने के कारण बहुत जाम लगता है। हमें सवारियों को छोड़ने और लेने में घंटों बर्बाद करने पड़ते हैं, जिससे हमारी दैनिक ट्रिप कम हो जाती हैं।

सागर

पहाड़ी रास्तों पर टैक्सी चलाना आसान नहीं होता, लेकिन यही हमारा रोजगार है। शटल सेवा के कारण हमारी आमदनी पर बहुत बुरा असर पड़ा है। शटल सेवा का संचालन हमारे द्वारा ही करवाना चाहिए।

महेंद्र आर्या

बाहर से आने वाली टैक्सियों के लिए कोई व्यवस्थित पार्किंग स्थल नहीं है। वे कहीं भी सड़क किनारे गाड़ियां खड़ी कर देते हैं, जिससे जाम की समस्या और बढ़ जाती है और हमारे लिए सवारियां ढूंढना मुश्किल होता है।

जतिन कुमार

सरकार को हमारी भी रोजी-रोटी का ध्यान रखना चाहिए। शटल सेवा को इस तरह से लागू नहीं करना चाहिए कि हमारे जैसे छोटे कारोबारियों का काम ठप हो जाए। प्रशासन को सबके बारे में सोचना चाहिए।

संजय सिंह

हमने कई बार प्रशासन से इस बारे में शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इन बाहरी टैक्सी वालों का कोई रिकॉर्ड नहीं होता, जिससे यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ती है।

सचिन कुमार

पार्किंग की उचित व्यवस्था न होने के कारण लोग अपनी गाड़ियां सड़कों पर ही खड़ी कर देते हैं, जिससे असुविधा होती है। गौलापार और एचएमटी में पार्किंग बनने से यह समस्या दूर हो सकती है।

अबरार हुसैन

रेलवे स्टेशन पर अक्सर बहुत भीड़ होती है और एक ही द्वार होने से यात्रियों को निकलने और प्रवेश करने में काफी परेशानी होती है। जिससे जाम लगता है। अलग-अलग द्वार होने से जाम नहीं लगेगा।

आफिज अहमद

शहर के अंदर बाहरी वाहनों के आने से जाम की समस्या बहुत बढ़ जाती है। गौलापार और एचएमटी जैसी बाहरी जगहों पर पार्किंग बनने से शहर में ट्रैफिक कम होगा और जाम भी नहीं लगेगा।

अफसान खान

शटल सेवा यात्रियों के लिए सुविधाजनक है, लेकिन इसका संचालन हमारे द्वारा हो तो यात्रियों को सस्ती और सुलभ सेवा मिल सकेगी। बाहरी लोगों को शटल सेवा देने से हमारा काम प्रभावित होता है।

मोहन गोस्वामी

पर्यटन सीजन में शहर में जाम लग जाता है। लोगों को घंटों जाम में खड़े रहना पड़ता है। बाहरी वाहनों के लिए अलग पार्किंग बनने से स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों को राहत मिलेगी।

विक्रांत फर्त्याल

शहर के अंदर वाहनों का जमावड़ा पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है। बाहर पार्किंग बनने से प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही लगातार बढ़ रही जाम की दिक्कत भी कम होगी।

पूरन सिंह नेगी

बाहर से आने वाले टैक्सी चालक खुलेआम डग्गामारी कर रहे हैं और उनका कोई सत्यापन नहीं होता। हम सालों से नियम-कायदों से काम कर रहे हैं। ये लोग बिना किसी जिम्मेदारी के हमारी सवारियां छीन रहे हैं।

आदिल

सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे स्थानीय टैक्सी चालकों के हितों की रक्षा हो और यात्रियों को भी सुगम और सुरक्षित यात्रा मिल सके। लेकिन शटल सेवा के कारण सब उल्टा हो रहा है।

अतीक अहमद

रेलवे स्टेशन पर निकासी और प्रवेश द्वार अलग नहीं हैं। इससे हर जगह जाम की स्थिति बनी रहती है, जिससे हमारे फेरे कम हो जाते हैं और यात्रियों को भी परेशानी होती है। निकासी द्वार बनना चाहिए।

मोइद खान

बोले जिम्मेदार

परिवहन विभाग की ओर से यात्रा को लेकर रेट भी तय किए गए हैं। सत्यापन की कार्रवाई गतिमान है। बाहर से आने वाले वाहनों के हिल लाइसेंस की जांच करवाई जाएगी। लाइसेंस नहीं पाए जाने पर कार्रवाई भी की जाएगी।

गुरदेव सिंह, आरटीओ प्रवर्तन, हल्द्वानी।

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