उत्तराखंड को 45 हजार करोड़ की जरूरत, धामी सरकार का 5 साल के लिए क्या प्लान?
प्राकृतिक आपदाओं, मौसम की वजह से जहां निर्माण कार्यों के लिए काफी कम वक्त मिलता है, वहीं लागत भी बढ़ जाती है। लिहाजा बुनियादी सेक्टर में सात प्रमुख विभागों की योजनाओं के लिए केंद्र सरकार से विशेष अतिरिक्त सहायता अपेक्षित है।

उत्तराखंड में अगले पांच वर्ष में पेयजल आपूर्ति की मजबूत व्यवस्था, वैकल्पिक ऊर्जा और शिक्षा पर प्रदेश का विशेष फोकस रहेगा। उत्तराखंड ने अपनी प्राथमिकताएं बताते हुए 16वें वित्त आयोग को सात विभागों का पंचवर्षीय प्लान सौंपा है। प्रदेश सरकार ने वित्त आयोग के माध्यम से केंद्र सरकार से इन सात विभागों के लिए 45 हजार करोड़ रुपये की अपेक्षा जताई है।
उत्तराखंड ने वित्त आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए 126 पेज का विशेष डाॅक्यूमेंट प्रेजेटेंशन सौंपा है। इस में राज्य की वर्तमान चुनौतियों व भविष्य की तैयारियों का ब्योरा विस्तार से दिया गया है। राज्य की ओर से कहा गया है कि प्रदेश में विषम भौगोलिक हालात की वजह से विभिन्न चुनौतियां को सामना करना पड़ता है।
प्राकृतिक आपदाओं, मौसम की वजह से जहां निर्माण कार्यों के लिए काफी कम वक्त मिलता है, वहीं लागत भी बढ़ जाती है। लिहाजा बुनियादी सेक्टर में सात प्रमुख विभागों की योजनाओं के लिए केंद्र सरकार से विशेष अतिरिक्त सहायता अपेक्षित है। ये सभी सेक्टर राज्य के विकास के साथ साथ प्रदेश की सवा करोड़ से अधिक की जनसंख्या से सीधे जुड़े हैं।
राजस्व घाटा अनुदान की भरपाई के लिए झोंकनी होगी ताकत : उत्तराखंड के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिश से मिले राजस्व घाटा अनुदान की भरपाई की है। मालूम हो पंद्रहवें वित्त आयोग ने राजस्व घाटा अनुदान देने की सिफारिश की थी। इसके तहत उत्तराखंड को 2021-22 से 2025-26 तक 28,147 करोड़ रुपये का लाभ मिला।
इस बार राजस्व सरप्लस होने की वजह से राज्य इस कैटेगरी से बाहर हो गया है। इस बड़ी राशि के नुकसान से उबरने के लिए उत्तराखंड राजस्व आवश्यकता अनुदान (रेवेन्यू नीड ग्रांट) की पैरवी कर रहा है। वित्त आयोग ने राज्य के रेवेन्यू नीड ग्रांट के आइडिया को तवज्जो देते हुए विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड ने वित्तीय प्रबंधन के साथ ही विकास के विभिन्न मानकों के आधार पर कई उपलब्धियां हासिल की हैं। यही, वजह है कि उत्तराखंड के बजट का आकार एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। अब सोलहवें वित्त आयोग के समक्ष वित्तीय परिस्थितियों, चुनौतियों और विकास की जरूरतों पर उत्तराखंड का पक्ष विस्तृत तरीके से रखा गया है। आयोग के दौरे से उत्तराखंड को निश्चित तौर पर बड़ा लाभ होगा।
केंद्रीय करों में बढ़ानी होगी हिस्सेदारी
उत्तराखंड को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रयास करने हैं। 15वें वित्त आयोग की सिफारिश पर केन्द्रीय करों में राज्य का अंश 1.118% तय किया गया था। इससे राज्य को वर्ष 2021-22 से 2025-26 में केन्द्रीय करों में 47,234 करोड़ रुपये का लाभ मिला। इस संबंध में वित्त सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि वित्त आयोग ने राज्य के कई महत्वपूर्ण सुझावों पर विस्तृत जानकारी चाही है। जो उन्हें उपलब्ध कराई जा रही है।
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