Tharu Community s Unique Approach to Eradicate Dowry System in Gobarhiya Police Station Area नजीर:गोबरहिया थाने में दहेज उत्पीड़न की एक भी प्राथमिकी नहीं, Bagaha Hindi News - Hindustan
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नजीर:गोबरहिया थाने में दहेज उत्पीड़न की एक भी प्राथमिकी नहीं

बगहा के गोबरहिया थाना क्षेत्र में थारू जनजाति ने दहेज उत्पीड़न के खिलाफ अनूठी मिसाल पेश की है। यहां दहेज प्रथा को पूरी तरह से नकारा जाता है। विवाह में कोई लेन-देन नहीं होता और दहेज लेने या देने वालों...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाThu, 10 April 2025 02:54 AM
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नजीर:गोबरहिया थाने में दहेज उत्पीड़न की एक भी प्राथमिकी नहीं

बगहा। बदलते परिवेश में दहेज के लिए हत्या, दहेज उत्पीड़न व घरेलू हिंसा के मामले पश्चिम चंपारण जिले में आम है। आए दिन कहीं न कहीं नवविवाहिताओं के साथ दुर्व्यवहार, प्रताड़ना और हिंसा की घटनाएं सामने आती हैं। लेकिन बगहा पुलिस जिले का गोबरहिया थाना क्षेत्र के आदिवासियों ने अनूठी मिसाल इस मामले में पेश की है। स्थापना काल से अब तक इस थाने में एक भी दहेज उत्पीड़न के मामले दर्ज नहीं हुए हैं। कारण कि थारू समाज की सामाजिक समरसता और परंपराओं का निर्वहन आज भी पूरी इमानदारी से करते हैं। आदिवासियों की थारु जनजाति दहेज जैसी कुप्रथा को पूरी तरह से नकारता है। यहां दहेज लेना और देना दोनों सामाजिक अपराध है। अखिल भारतीय थारु कल्याण महासंघ के अध्यक्ष दीपनारायण प्रसाद ने बताया कि थारु समाज में एक नारियल व एक पान के पत्ता पर विवाह की तिथि तय हो जाती है। इसका समाजिक स्तर पर कड़ाई से पालन किया जाता है।

दहेज को अपने स्तर पर ही खारिज कर देते हैं लोग : गोबरहिया की निवासी निर्मला देवी कहती हैं कि उनके समाज में दहेज लेना-देना गलत माना जाता है। विवाह में कोई लेन-देन नहीं होता, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। वहीं स्थानीय ग्रामीण रंजीत कुमार बताते हैं कि गोबरहिया थाने में अब तक दहेज उत्पीड़न का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है। यहां के लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं, इसलिए समाज में तनाव और अपराध भी न के बराबर हैं।

दहेज लेने व देने वालो को समाज नहीं करता स्वीकार : गोबरहिया थाना क्षेत्र में अधिकांश थारू जनजाति के लोग रहते हैं। यह क्षेत्र पूरी तरह से दहेज प्रथा मुक्त है। यहां विवाह सम्मानजनक सामाजिक जुड़ाव माना जाता है, जिसमें लेन-देन की कोई परंपरा नहीं है। यदि कोई व्यक्ति दहेज लेने या देने की कोशिश करता है, तो समाज उसे स्वीकार नहीं करता है। बल्कि उसका बहिष्कार करता है। महिलाओं का सशक्तिकरण और सुरक्षा सुनिश्चित होती है। थारु संघ के अध्यक्ष श्री प्रसाद ने बताया कि गुमस्ता के नेतृत्व में हर गांव में इस बात पर नजर रखी जाती है कि कहीं कोई दहेज दे या ले तो नहीं रहा।

थारू समाज के लोग परंपराओं का कड़ाई से पालन करते हैं, जिसमें दहेज के लिए कोई जगह नहीं है। यही कारण है कि यहां दहेज उत्पीड़न के मामले नहीं हैं। समाज में महिलाओं को विशेष सम्मान प्राप्त है। अन्य समाज भी इस परंपरा को अपनाएं, तो दहेज प्रथा का अंत किया जा सकता है। थारु समाज के द्वारा अपनी परंपराओं का पालन करने से गोबरहिया में दहेज उत्पीड़न के मामले दर्ज नहीं हुये हैं।

- सुशांत कुमार सरोज, एसपी, बगहा

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