आम के बीजू प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर
पहले बड़े पैमाने पर होता था बीजू आम का उत्पादन , छोटे-छोटे फल अब बहुत कम देखे जाते हैं। उसके जगह पर अब बगीचा में नई वैरायटी के तरह-तरह के आम देखे जा रहे हैं।

पहले बड़े पैमाने पर होता था बीजू आम का उत्पादन मखदुमपुर, निज संवाददाता। प्रखंड में स्थानीय बीजू प्रजाति का आम के पेड़ लगातार कम होते जा रहे हैं। विशाल पेड़ और उन पर लगे। छोटे-छोटे फल अब बहुत कम देखे जाते हैं। उसके जगह पर अब बगीचा में नई वैरायटी के तरह-तरह के आम देखे जा रहे हैं। जिसमें मालदा, सीपीआ, हिमसागर, जैसे कई प्रजाति के आम के पेड़ अधिक देखे जा रहे हैं। किसान लोग परंपरागत लोकल आम के पौधे नहीं लग रहे हैं। कभी मंझोस, भीमपुरा, सागरपुर, नौगढ़ , महादेव बिगहा जमीन गंज आदि गांव में बड़े-बड़े आम के बगीचे थे जो अब समाप्त हो चुके हैं।
उन बगीचे में लोकल वैरायटी के तरह-तरह के बीजू आम होते थे। बुजुर्ग किसान मोहन शर्मा ने बताया कि बीजू आम के पेड़ काफी मजबूत और टिकाऊ होता था उसकी लकड़ी काफी मांग होती थी। आम का पेड़ कई वर्षों तक रहता था। फल के साथ उसकी लकड़ी की बिक्री से भी काफी पैसे मिलते थे। आम के फल के दाने छोटे होते थे लेकिन उसके फल काफी रसदार और मीठा होता था जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता था। अब उसके जगह पर नए-नए आम लगाया जा रहे हैं जिसके पौधे बाहर से मंगाए जाते हैं। नए पौधे कम समय में फल देना शुरू कर देते हैं। उनके फल बड़े और मीठा होता है। मार्केट में इन आंखों की मांग भी अधिक है इसके कारण किसान लोग नई वैरायटी के आम लग रहे हैं। लेकिन इनाम के लकड़ी की कीमत उतनी नहीं मिल पाती है। फोटो- 23 मई जेहाना- 03 कैप्शन- मखदुमपुर स्थित एक घर के चहारदिवारी में आम के पेड़ में लगा बीजू प्रजाति का फल।
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