बिना जानकारी के खेतों की मेढ़ काटने से आक्रोश
झंझारपुर में किसानों ने बिना सूचना के जेसीबी से खेतों की मेढ़ काटने और मूंग की फसल को नष्ट करने का विरोध किया। किसानों ने डीएम को जानकारी देने के लिए सभा स्थल पर पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन डीएम...
झंझारपुर। बिना जानकारी के जेसीबी से खेतों के मेढ़ को काट दिए जाने और मूंग के फसल को नष्ट किये जाने से किसान आक्रोशित हो गए। बुधवार की रात तकरीबन 3 से 4 दर्जन किसान नरुआर ओवर ब्रिज के उत्तर पीएम की सभा के लिए चयनित पार्किंग स्थल बनाए जाने का विरोध करने पहुंच गए। जेसीबी को कार्य करने से रुकवा दिया। रात में जेसीबी से किसानों के मेढ़ को काटकर समतल किया जा रहा था। किसानों का कहना था कि यह मेढ़ फिर से कौन बनाएगा। किसकी जमीन कहां तक है यह कैसे पता लगेगा। मूंग की फसल का मुआवजा कौन देगा। उनका यह भी आरोप था कि खेतों की भौगोलिक संरचना बिगड़ने से पूर्व उन्हें जानकारी नहीं दी गई। किसानों ने कहा खेत मेरा और प्रशासन का मनमानी कैसे चलेगा। रात में काम रोकने की बाद सभी गुरुवार दोपहर डीएम को जानकारी देने सभा स्थल पर पहुंचे। किसान के पहुंचने से पहले ही डीएम दूसरे रास्ते से निकल चुके थे। मगर अंचल अधिकारी प्रशांत कुमार झा को किसानों ने घेर लिया। इस स्थल पर नरुआर पंचायत के मुखिया पति सुजीत कुमार मिश्रा भी थे। श्री मिश्रा ने कहा कि उन्होंने किसानों से एनओसी जो दिया था वह सभा स्थल और उसके अगल-बगल के खेत का है। जबकि नरुआर ओवर ब्रिज के नीचे जहां पार्किंग बनाई जा रही है वह सभा स्थल से डेढ़ से 2 किलोमीटर दूर है। वहां के लिए किसी किसानों से कोई सहमति नहीं ली गई थी। सीओ स्थिति को बिगड़ते देख कहा कि नक्शा के अनुसार मेढ़ को दुरुस्त कर दिया जाएगा। आश्वासन दिया कि उचित मुआवजा के लिए बरिय अधिकारियों से भी बात की जाएगी। विरोध करने वाले किसानों में रामसुंदर यादव, रमन जी कामत, राम लखन यादव, श्याम सुंदर कामत, गौरी शंकर यादव, भोला यादव, रितेश कुमार यादव, नारायण यादव सहित कई लोग थे। दूसरी तरफ लोहना दक्षिण पंचायत के मुखिया पति उमेश कुमार कामत ने भी आरोप लगाया कि बिना किसी सूचना के, बिना सहमति के उनके पंचायत में भी पार्किंग के लिए बनाए जा रहे क्षेत्र के मेढ़ को काटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि खुद उनके दो एकड़ जमीन में मूंग की फसल को नष्ट कर दिया गया। इनका कहना था कि प्रधानमंत्री के आने की हमें खुशी है। प्रधानमंत्री खुद किसानों का ध्यान रख रहे हैं, मगर स्थानीय प्रशासन का काम गलत है। किसानों का कहना था कि प्रशासन मुआवजा तय करें और जमीन के मेढ़ को फिर से बनाने की गारंटी दे। सहयोग देने में कोई भी किसान पीछे नहीं रहेंगे।
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