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पहली बार घरेलू निवेशकों ने विदेशियों को पछाड़ा, निफ्टी-500 में बढ़ाई हिस्सेदारी

FIIs Vs DIIs: पहली बार घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने निफ्टी-500 कंपनियों में विदेशी निवेशकों को पछाड़ दिया है। निफ्टी-500 कंपनियों में पहली बार DIIs की हिस्सेदारी (19.2%) FIIs (18.8%) से आगे निकल गई है।

Drigraj Madheshia लाइव हिन्दुस्तानThu, 8 May 2025 01:54 PM
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पहली बार घरेलू निवेशकों ने विदेशियों को पछाड़ा, निफ्टी-500 में बढ़ाई हिस्सेदारी

पहली बार घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने निफ्टी-500 कंपनियों में विदेशी निवेशकों को पछाड़ दिया है। निफ्टी-500 कंपनियों में पहली बार DIIs की हिस्सेदारी (19.2%) FIIs (18.8%) से आगे निकल गई है। प्रमोटरों की हिस्सेदारी भी रिकॉर्ड निचले स्तर (49.5%) पर पहुंची। जबकि, रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी लगभग स्थिर (12.4%) है। इस बात का खुलासा मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपने लेटेस्ट रिपोर्ट में किया है।

DIIs के बढ़ते निवेश से पता चलता है कि भारतीय निवेशक अपने बाजार पर भरोसा कर रहे हैं। FIIs पर कम बाजार की निर्भरता कम हो रही है। अब बाजार विदेशी पूंजी के उतार-चढ़ाव से कुछ हद तक आजाद हो रहा है। यह ट्रेंड बताता है कि भारतीय शेयर मार्केट अब "घरेलू ताकत" से आगे बढ़ रहा है।

पिछले 10 साल का हाल: साल 2015 से 2025 के बीच DIIs ने FIIs के मुकाबले 3.7 गुना ज्यादा (195 अरब डॉलर vs 53 अरब डॉलर) निवेश किया है। इस बीच COVID महामारी, वैश्विक ब्याज दरों में उछाल के बावजूद घरेलू निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है।

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2024-25 के ट्रेंड्स

चुनावी डर के बाद रैली: 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर बाजार घबराया, लेकिन बाद में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा। वहीं, कंपनियों के मुनाफे में कमी, शेयरों के महंगे होने और FIIs के शेयर बेचने से बाजार नीचे आया।

DIIs की पसंद: बैंक (प्राइवेट + PSU), कंज्यूमर ड्युरेबल्स, इंश्योरेंस, ऑटोमोबाइल, रिटेल जैसे सेक्टरों में निवेश बढ़ाया।

FIIs ने घटाई हिस्सेदारी: ज्यादातर सेक्टरों से पैसे निकाले, सिर्फ टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर ड्युरेबल्स में थोड़ा बढ़ाया। निफ्टी-500 में FII-DII का अनुपात अब 1:1 हो गया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 48% कंपनियों में हिस्सेदारी घटाई, जबकि घरेलू निवेशकों ने 67% कंपनियों में बढ़ाई।

लॉर्ज, मिड और स्मॉल कैप कंपनियों का हाल

DIIs हर जगह आगे: लॉर्ज कैप (20.4%), मिड (17.1%) और स्मॉल कैप कंपनियों (15.2%) में DIIs की हिस्सेदारी बढ़ी। दूसरी ओर FIIs ने बड़ी कंपनियों से पैसे निकाले। इनमें FIIs की हिस्सेदारी 21.1% (रिकॉर्ड निचले स्तर) पर पहुंची।

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