1125 रुपये से टूटकर 117 पर आया यह शेयर, मालिक की करतूतों की ऐसे खुली पोल
- जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर अपने 52 हफ्ते के हाई लेवल से 90% लुढ़क गए हैं। कंपनी के शेयर 24 जून 2024 को 1125.75 रुपये पर थे। जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर 17 अप्रैल 2025 को 5% टूटकर 117.50 रुपये पर बंद हुए हैं।

देश की रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर के पोस्टरबॉय रहे अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी की कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों का बुरा हाल है। कंपनी के शेयर अपने 52 हफ्ते के उच्चतम स्तर से 90% टूट गए हैं। जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर 24 जून 2024 को 1125.75 रुपये पर थे। कंपनी के शेयर गुरुवार 17 अप्रैल 2025 को 5% लुढ़ककर 117.50 रुपये पर बंद हुए हैं। बाजार नियामक सेबी ने कथित फंड डायवर्जन को लेकर जग्गी बंधुओं के सिक्योरिटीज मार्केट्स तक पहुंच और लिस्टेड कंपनियों में कोई डायरेक्टोरियल या अहम भूमिका निभाने से रोक दिया है। सेबी ने यह रोक लगाने से पहले कई गड़बड़ियों का खुलासा किया। इनमें से कुछ खामियां कंपनी की तरफ से किए गए डिसक्लोजर से जुड़ी थीं।
कंपनी के डिसक्लोजर में मिली खामियां
नियामक संस्था सेबी ने एक अंतरिम आदेश में कहा है कि उसे हाल में लॉन्च इलेक्ट्रिक व्हीकल के 30,000 प्री-ऑर्डर और पुणे में एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट से जुड़े जेनसोल इंजीनियरिंग के डिसक्लोजर्स में गड़बड़ियां मिली हैं। सेबी को जून 2024 में शेयर प्राइस में हेर-फेर और कंपनी से फंड्स के डायवर्जन को लेकर शिकायत मिली थी, इसके बाद नियामक ने कंपनी और इसके फाउंडर्स के खिलाफ जांच शुरू की।
प्री-ऑर्डर्स को बाद में बताया MoU
जेनसोल इंजीनियरिंग ने 28 जनवरी 2025 को एक्सचेंजों को एक डिसक्लोजर दिया, यह भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 में पेश की गई कंपनी की इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के 30,000 यूनिट्स के प्री-ऑर्डर्स को लेकर था। जब कंपनी से इसको लेकर संबंधित दस्तावेज मांगे गए तो यह बात सामने आई कि जिसे 30,000 यूनिट्स का प्री-ऑर्डर डिक्लेयर किया गया था, वह असल में MoU थे। जेनसोल इंजीनियरिंग ने 9 इकाइयों के साथ 29000 कारों के लिए एमओयू किया था। इन एमओयू में प्राइस या डिलीवरी शेड्यूल के कोई डीटेल्स नहीं थे। प्रथम दृष्टया, यह बात सामने आई कि यह दावे भ्रामक थे।
प्लांट में थे केवल 2-3 मजदूर
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के एक रिप्रेजेंटेटिव ने 9 अप्रैल को कंपनी के प्लांट का विजिट किया, जिसमें चौंकाने वाली खामियां सामने आईं। यह प्लांट पुणे के चाकन एरिया में था। प्लांट में पहुंचने पर ऑफिसर ने पाया कि वहां कोई मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी नहीं चल रही थी। प्लांट में केवल दो-तीन मजदूर थे। NSE ऑफिसर ने इसके बाद इलेक्ट्रिसिटी बिल के डिटेल्स मांगे और पाया कि पिछले 12 महीनों के दौरान बिल का मैक्सिमम अमाउंट दिसंबर 2024 में 1,57,037 रुपये था। यह बात बिजनेसटुडे की एक रिपोर्ट में कही गई है। नियामक संस्था सेबी ने कहा है, 'इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि प्लांट साइट में कोई मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि नहीं चल रही थी, यह प्लांट एक लीज्ड प्रॉपर्टी पर है।'
कंपनी ने खरीदे कम इलेक्ट्रिक व्हीकल्स
जेनसोल इंजीनियरिंग को इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डिवेलपमेंट एजेंसी (इरेडा) और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) से 977.75 करोड़ रुपये का टर्म लोन मिला था। इस लोन अमाउंट में से 663.89 करोड़ रुपये 6400 इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदने के लिए थे। जेनसोल इंजीनियरिंग को इस अमाउंट में 20% का इक्विटी कंट्रीब्यूशन करना था। यानी, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदने के लिए टोटल अमाउंट 829.86 करोड़ रुपये था। हालांकि, कंपनी ने 567.73 करोड़ रुपये खर्च करके केवल 4704 इलेक्ट्रिक व्हीकल्स खरीदे। बाकी के 262.13 करोड़ रुपये एक साल अनअकाउंटेड रहे। जेनसोल इंजीनियरिंग ने इरेडा और पीएफसी के 'नो ओवरड्यू' लेटर्स में भी कथित तौर पर हेरा-फेरी की।