क्या 9 अप्रैल को ब्याज दरों में कटौती करेगा आरबीआई, कम होगी आपकी ईएमआई
- RBI Monetary Policy: रेपो रेट कट से आम आदमी को सीधे तौर पर लोन की सुविधा सस्ती मिलती है, ईएमआई कम होती है और अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक विकास से रोजगार व आय के अवसर बढ़ते हैं। हालांकि, बचत पर रिटर्न कम होने जैसे नुकसान भी हो सकते हैं।

RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 9 अप्रैल को लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है और इस साल अगस्त में एक और छोटी कटौती की संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो यह RBI के इतिहास का सबसे छोटा रेट कट साइकल होगा। यह जानकारी रॉयटर्स के एक सर्वे में सामने आई है, जिसमें अर्थशास्त्रियों से राय ली गई थी। बता दें रेपो रेट कट से आम आदमी को सीधे तौर पर लोन की सुविधा सस्ती मिलती है, ईएमआई कम होती है और अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक विकास से रोजगार व आय के अवसर बढ़ते हैं। हालांकि, बचत पर रिटर्न कम होने जैसे नुकसान भी हो सकते हैं।
क्यों बढ़ी रेपो रेट में कटौती की उम्मीद
रेपो रेट में कटौती की उम्मीद बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। इनमें महंगाई दर है, जो फरवरी में घटकर 3.61% (7 महीने का निचला स्तर) पर पहुंच गई है। इस साल GDP ग्रोथ भी 6.4% रहने का अनुमान है, जो 4 साल में सबसे कम है।
RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 9 अप्रैल को लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है और इस साल अगस्त में एक और छोटी कटौती की संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो यह RBI के इतिहास का सबसे छोटा रेट कट साइकल होगा। यह जानकारी रॉयटर्स के एक सर्वे में सामने आई है, जिसमें अर्थशास्त्रियों से राय ली गई थी। बता दें रेपो रेट कट से आम आदमी को सीधे तौर पर लोन की सुविधा सस्ती मिलती है, ईएमआई कम होती है और अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक विकास से रोजगार व आय के अवसर बढ़ते हैं। हालांकि, बचत पर रिटर्न कम होने जैसे नुकसान भी हो सकते हैं।
क्यों बढ़ी रेपो रेट में कटौती की उम्मीद
रेपो रेट में कटौती की उम्मीद बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। इनमें महंगाई दर है, जो फरवरी में घटकर 3.61% (7 महीने का निचला स्तर) पर पहुंच गई है। इस साल GDP ग्रोथ भी 6.4% रहने का अनुमान है, जो 4 साल में सबसे कम है।
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अप्रैल में कितनी कटौती होगी?
रॉयटर्स पोल के मुताबिक 54 में से 60 अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई 7-9 अप्रैल की एमपीसी की बैठक में रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट (0.25%) घटाकर 6% कर देगा। एक अर्थशास्त्री को लगता है कि 50 बेसिस पॉइंट (0.5%) की बड़ी कटौती हो सकती है। वहीं, 5 अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अभी कोई बदलाव नहीं होगा। इंडिया रेटिंग्स का अनुमान है कि FY26 में कुल 75 बेसिस पॉइंट (0.75%) की कटौती हो सकती है।
रेट कट से क्या होगा असर?
बैंकों ने पहले ही लिक्विडिटी (नकदी) बढ़ाने के लिए ₹64,000 करोड़ सिस्टम में डाले हैं। लेकिन, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इसका असर अर्थव्यवस्था पर पूरी तरह दिखने में कुछ महीने लगेंगे। यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान के मुताबिक, "अगर रेट कट का फायदा पूरी इकोनॉमी तक पहुंचाना है, तो बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी सकारात्मक होनी चाहिए।"
HDFC बैंक की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता कहती हैं, "यह एक बहुत हल्का रेट कट साइकल होगा। अप्रैल के बाद, RBI जून या अगस्त में एक और कटौती कर सकता है, लेकिन यह ग्लोबल हालात और US फेड के फैसलों पर निर्भर करेगा।"
आम आदमी पर क्या होगा असर
आरबीआई द्वारा रेपो रेट घटाने का आम आदमी पर कई तरह से सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
1. होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन सस्ते होंगे
लोन पर ब्याज दरें घटेंगी: बैंकों को आरबीआई से सस्ते दरों पर पैसा मिलेगा, जिससे वे होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन आदि पर ब्याज दरें कम कर सकते हैं। इससे ईएमआई (EMI) कम होगी और लोगों की मासिक बचत बढ़ेगी।
बिजनेस लोन सस्ते होंगे: छोटे व्यवसायियों और उद्यमियों को भी सस्ते लोन मिलेंगे, जिससे निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं।
2. आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा
खर्च और निवेश में वृद्धि: सस्ते लोन से उपभोक्ताओं की खरीदारी क्षमता बढ़ती है, जिससे बाज़ार में मांग बढ़ेगी। इससे उत्पादन और रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हो सकती है।
रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर को फायदा: होम लोन और ऑटो लोन सस्ते होने से इन क्षेत्रों में मांग बढ़ सकती है।
3. मुद्रास्फीति पर नियंत्रण
महंगाई दबाव कम होगा: रेपो रेट कम होने से आर्थिक गतिविधियाँ तेज होती हैं, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में स्थिरता आ सकती है (हालांकि यह अन्य कारकों पर भी निर्भर करता है)।
4. बचत और निवेश पर प्रभाव
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर कम रिटर्न: ब्याज दरें घटने से बचत खातों और FD पर रिटर्न कम हो सकता है, लेकिन यह लोगों को निवेश के अन्य विकल्पों (जैसे शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड) की ओर प्रेरित कर सकता है।
5. रुपये की तरलता बढ़ेगी
सस्ते लोन से बाजार में नकदी की उपलब्धता बढ़ती है, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलती है।