क्यों जरूरी है नियमित अंतराल पर गायनेकोलॉजिस्ट को दिखाना, जानिए क्या जांचती हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ
- डॉक्टर के पास बीमार पड़ने के बाद ही जाना जरूरी नहीं। बीमारी से बचने के लिए भी नियमित रूप से डॉक्टरी परामर्श जरूरी है और इसमें महिलाओं के लिए सबसे अहम भूमिका निभाती हैं, गाइनेकोलॉजिस्ट। क्यों जरूरी है नियमित अंतराल पर स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श, बता रही हैं शमीम खान
तबीयत खराब नहीं है, कोई समस्या नहीं हो रही, फिर डॉक्टर के पास जाने की जरूरत क्या है। आम भारतीयों की सोच यही है। स्त्री रोग विशेषज्ञ यानी गाइनेकोलॉजिस्ट के पास जाना तो हमारे यहां तब तक जरूरी नहीं समझा जाता, जब तक पीरियड से जुड़ी कोई गंभीर समस्या न हो जाए या फिर महिला गर्भवती हो जाए। पर, डॉक्टर के पास बीमारियों के इलाज के लिए ही नहीं बल्कि बीमारियों से बचने के लिए भी जाना जरूरी होता है। महिलाओं को हर साल या कम से कम तीन साल में एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से अपनी कुछ जरूरी जांच जरूर करवानी चाहिए फिर चाहे वो सेक्सुअली सक्रिय हों या नहीं। शरीर में पनप रही असामान्यताओं की शुरुआती चरण में ही पहचान और उपचार हमेशा से ज्यादा प्रभावी होता है।
क्या जांचती हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ?
गाइनेकोलॉजिकल स्क्र्रींनग में यह सुनिश्चित किया जाता है कि आपके प्रजनन तंत्र के सभी अंग स्वस्थ हैं और वजाइना से निकलने वाले डिस्चार्ड में कोई असामान्यता नहीं है। अमूमन महिलाएं सोचती हैं इसकी कोई जरूरत नहीं है, लेकिन मासिक चक्र शुरू होने से लेकर 65 साल की उम्र तक सभी महिलाओं को समय-समय पर अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से बिना देर किए कुछ जरूरी टेस्ट करवाने चाहिए। यौन और प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए गाइनेकोलॉजिकल स्क्र्रींनग बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण है।
क्यों खास हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ?
स्त्री रोग विशेषज्ञ एक डॉक्टर होता है, जिसे महिलाओं और उनके प्रजनन तंत्र के अंगों में विशेषज्ञता प्राप्त होती है। इसमें गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब्स, अंडाशय, स्तन, योनि और योनि का मुख शामिल होते हैं। ये विशेषज्ञ महिलाओं को उनकी यौवनावस्था से लेकर बुढ़ापे तक गाइड करने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ से आप निम्न मामलों में परामर्श ले सकती हैं:
परिवार नियोजन: जो महिलाएं यौन रूप से सक्रिय हैं, उनके लिए परिवार नियोजन, अनचाही गर्भावस्था और यौन संपर्कों से फैलने वाले संक्रमणों जैसे एचआईवी, गोनोरिया, सिफलिस से बचने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह महत्वपूर्ण होती है।
स्तनों की जांच: हालांकि महिलाओं को हर महीने स्तनों के सेल्फ एग्जामिनेशन की सलाह दी जाती है ताकि किसी गांठ आदि के बारे में उन्हें शुरुआत में ही पता चल सके। फिर भी एक प्रशिक्षित डॉक्टर से नियमित अंतराल पर स्तनों की जांच जरूरी है।
पेल्विक एग्जामिनेशन: जब पीरियड के अलावा वजाइना से रक्त, सफेद पानी या सफेद गाढ़ा चिपचिपा डिस्चार्ज आदि निकलता है या निजी अंगों में सूजन या गांठ महसूस होती है, तो अधिकतर महिलाएं परेशान हो जाती हैं। अगर आप नियमित रूप से किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच कराएंगी तो बीमारी के पनपने से पहले ही वो लक्षणों से उसे पहचान लेंगी।
टीकाकरण: साल में एक बार अपनी स्त्री रोग विशेषज्ञ से जरूरी टीके की जानकारी जरूर लें। एचपीवी वैक्सीन कुछ निश्चित प्रकार के कैंसर जैसे सर्वाइकल, वजाइनल और एनल कैंसर का खतरा कम करते हैं। वहीं दूसरे वैक्सीन जैसे फ्लू-शॉट्स इंफ्लुएंजा जैसे वायरस से होने वाले संक्रमणों को रोकने में महत्वपूर्ण हैं।
यौन स्वास्थ्य: शायद स्त्री रोग विशेषज्ञ ही एकमात्र पेशेवर होते हैं, जिससे कोई महिला खुलकर अपनी सेहत से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा कर सकती है। इसलिए नियमित रूप से स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलकर आप अपने यौन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर बेझिझक होकर अपने सवालों के जवाब प्राप्त कर सकती हैं।
गर्भधारण: पिछले कुछ सालों में अनुवांशिक रोगों के मामले बढ़े हैं। महिलाएं देर से गर्भधारण कर रही हैं। कई बीमारियों की भी शिकार हो रही हैं। ऐसे हालात में गर्भधारण करना बच्चे के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए शादी से पहले प्री-मैरिटल काउंर्संलग और बच्चा प्लान करने से पहले और स्वस्थ परिवार बनाने के लिए प्री-कंसेप्शन काउंर्संलग बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, स्त्री रोग विशेषज्ञ हर महिला की खास जरूरत के हिसाब से उसे जरूरी सप्लीमेंट्स लेने की सलाह भी देती हैं।
(एलांटिस हेल्थकेयर, नई दिल्ली में गाइनेकोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. मनन गुप्ता से बातचीत पर आधारित)
गाइनेकोलॉजिकल स्क्र्रींनग में निम्नलिखित जांच शामिल हैं:
• पेल्विक हिस्से की जांच • पैप स्मियर टेस्ट ’एचआईवी र्टेंस्टग • हेपेटाइटिस-सी र्टेंस्टग • स्तनों की जांच • मैमोग्राफी • बोन डेंसिटी जांच • इंफेक्शन की जांच
इन बातों पर चर्चा जरूर करें
• पेल्विक क्षेत्र में दर्द होना • अचानक पेट फूलना • पीरियड का अनियमित होना या न आना • पीरियड के दौरान असामान्य या अत्यधिक रक्तस्राव • शारीरिक संबंध बनाने में दर्द होना • वजाइना से असामान्य डिस्चार्ज होना • योनि मुख में बदलाव • मूत्र मार्ग से संबंधित संक्रमण • मेनोपॉज के लक्षण • निप्पल से डिस्चार्ज निकलना
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