रसोई में रखी ये चीजें शरीर में घोल रही हैं प्लास्टिक! कैंसर जैसी बीमारियों की बनती हैं वजह
- रसोई में हम रोजाना कई ऐसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं, जो शरीर में प्लास्टिक पहुंचाने की वजह बनती हैं। ये कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का भी कारण बन सकती हैं।

हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत ज्यादा बढ़ गया है। अब हमारी रसोई भी इससे अछूती नहीं। प्लास्टिक के कंटेनर, बर्तन, चॉपिंग बोर्ड्स और ना जाने कितना कुछ; लगभग हम सभी की रसोई में भरा पड़ा रहता है। आफत तब और भी ज्यादा बढ़ जाती है जब ये प्लास्टिक हमारे शरीर में एंट्री लेने लगती है। ये खूबसूरत और टिकाऊ सी दिखने वाली प्लास्टिक, छोटे-छोटे कणों के रूप में हमारी बॉडी में प्रवेश करती है। इसे 'माइक्रोप्लास्टिक' कहा जाता है। हमारी रसोई में कई चीजें ऐसी मौजूद होती हैं, जो शरीर में प्लास्टिक पहुंचाने का कारण बनती हैं। इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए समय रहते अपनी रसोई से प्लास्टिक की छुट्टी कराना जरूरी है। तो आइए जानते हैं ऐसे प्लास्टिक प्रोडक्ट्स जो घोल रहे हैं आपके शरीर में प्लास्टिक।
भूलकर भी ना इस्तेमाल करें प्लास्टिक के कंटेनर और बोतल
अगर आप भी रसोई में खाने का सामान स्टोर करने के लिए प्लास्टिक के कंटेनर इस्तेमाल करते हैं, तो ये आपकी सेहत के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकते हैं। खासतौर से जब गरमा-गरम खाने को प्लास्टिक के डब्बे में स्टोर किया जाता है, तो प्लास्टिक के छोटे-छोटे कणों का शरीर में पहुंचने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा प्लास्टिक की बोतल का ज्यादा इस्तेमाल करने से भी बचना चाहिए। इनकी जगह आप कांच, मिट्टी, स्टील और सेरेमिक के बर्तनों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
चॉपिंग बोर्ड का ना करें इस्तेमाल
कुछ लोग प्लास्टिक के चॉपिंग बोर्ड का इस्तेमाल करते हैं, जो सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं। दरअसल जब आप प्लास्टिक के बोर्ड पर रखकर कोई चीज काटते हैं, तो इसके और चाकू के बीच फ्रिक्शन पैदा होता है, जिससे खाने में माइक्रोप्लास्टिक के कण शामिल हो सकते हैं। खासतौर से अगर आप मीट काट रहे हैं, तब तो इसका खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इसलिए हमेशा प्लास्टिक के चॉपिंग बोर्ड की जगह लकड़ी का बोर्ड इस्तेमाल करना चाहिए।
प्लास्टिक के बर्तन में ना यूज करें ब्लेंडर
जूस या स्मूदी बना रहे हैं, तो प्लास्टिक के जार में भूलकर भी ब्लेंडर का इस्तेमाल ना करें। ऐसा करने से प्लास्टिक के जार और ब्लेंडर के बीच घर्षण होता है, जिससे कम समय में ही ढेरों प्लास्टिक के कण बाहर निकल आते हैं। इससे फूड में माइक्रोप्लास्टिक का खतरा बढ़ सकता है। ये खासतौर से तब और भी ज्यादा नुकसानदायक हो जाता है, जब स्मूदी या ड्रिंक बनाने में बर्फ का इस्तेमाल होता है क्योंकि बर्फ को ब्लेंड करने में काफी समय और प्रेशर लगता है।
प्लास्टिक के बर्तनों के इस्तेमाल में भी बरतें सावधानी
रसोई में प्लास्टिक के बर्तनों का भी ज्यादा इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। खासतौर से गर्म खाना कभी भी प्लास्टिक के बर्तन में नहीं रखना चाहिए। इससे भी फूड में माइक्रोप्लास्टिक के कॉन्टेमिनेशन का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि ज्यादा पुराने प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल रसोई में ना हो। क्योंकि इनमें माइक्रोप्लास्टिक मौजूद होने का खतरा ज्यादा होता है।
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