If you convert religion then your Scheduled Caste status will also end Andhra High Court dismissed the case धर्म ही बदल लिया तो फिर दलित कैसे? आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज किया SC-ST एक्ट का केस, India Hindi News - Hindustan
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धर्म ही बदल लिया तो फिर दलित कैसे? आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज किया SC-ST एक्ट का केस

Andhra High Court: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक एससी एसटी एक्ट के एक केस को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति खुद ही इस बात को स्वीकार कर रहा है कि वह पिछले दस सालों से ईसाई धर्म का पालन कर रहा है और पादरी है। ऐसे में उसे इस अधिनियम का संरक्षण नहीं दिया जा सकता।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानFri, 2 May 2025 11:59 AM
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धर्म ही बदल लिया तो फिर दलित कैसे? आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज किया SC-ST एक्ट का केस

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों के धर्म परिवर्तन को लेकर बड़ा बयान दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई अनुसूचित जाति का व्यक्ति धर्म परिवर्तन कर लेता है, तो उसका एससी का दर्जा भी खत्म हो जाता है। ऐसे में वह अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम के तहत संरक्षण का दावा नहीं कर सकता है।

हाईकोर्ट के एकल बेंच पर जस्टिस हरिनाथ ने गुंटूर जिले के रहने वाले अक्कला रामी नाम के शख्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बयान दिया। अक्लला पर आरोप था कि उसने हिंदू से ईसाई बने एक चिंतादा नामक शख्स को जातिसूचक गालियां दी हैं। अक्कला के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि चिंतादा ने दावा किया है कि वह एक स्थानीय चर्च में पादरी के तौर पर काम कर रहा है। उसने दशक से भी ज्यादा समय पहले अपनी मर्जी से अपने धर्म को बदला था। अब जब ईसाई धर्म जाति व्यवस्था को मान्यता नहीं देता है, तो फिर एससी-एसटी एक्ट का कोई मतलब ही नहीं रह जाता।

जस्टिस हरिनाथ ने कहा कि जब चिंतादा खुद ही कह रहा है कि वह पिछले 10 सालों से ईसाई धर्म का पालन कर रहा है, तो पुलिस को आरोपी के ऊपर एससी एसटी एक्ट के तहत केस नहीं करना चाहिए था। जस्टिस हरिनाथ ने अक्काला के वकील के तर्क को मानते हुए कहा कि एससी-एसटी एक्ट उन समुदायों से जुड़े व्यक्तियों की रक्षा के लिए हैं न कि धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों के लिए नहीं। इसके बाद जस्टिस हरिनाथ ने आरोपी पर से लगे केस को खारिज कर दिया।

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आपको बता दें कि संविधान में भी अनुसूचित जाति 1950 के मुताबिक केवल भारत में पैदा हुए धर्मों (हिंदू, सिख, बौद्धों) के अनुसूचित जाति समुदायों को ही मान्यता प्राप्त है। अगर कोई इन धर्मों में है, तो उसे अनुसूचित जाति में माना जाएगा। वहीं अगर कोई मुस्लिम या ईसाई धर्म अपनाता है, तो उसका यह दर्जा खत्म कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने भी 2022 में सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा दायर किया था कि ऐसे लोगों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता क्योंकि यह इस धर्म को अपनाते ही इसलिए हैं ताकि उन्हें छुआ-छूत का सामना न करना पड़े।

सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ समय पहले इस बात को स्पष्ट करते हुए कहा था कि अगर कोई ईसाई या मुस्लिम व्यक्ति केवल आरक्षण का लाभ लेने के लिए वापस अपने धर्म को बदलता है तो यह संविधान के साथ धोखा होगा। ऐसे में उसे अगर एससी का दर्जा प्राप्त करना है तो उसे विश्वसनीय प्रमाण पत्र और समुदाय की स्वीकृति की आवश्यकता होगी।