मानवाधिकारों का उल्लंघन; अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी पर NHRC का DGP को नोटिस
एनएचआरसी ने प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी पर कहा है कि प्रथम दृष्टया पता चलता है कि उक्त प्रोफेसर के मानवाधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने हरियाणा में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी और हिरासत रिमांड के संबंध में एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है। एनएचआरसी ने हरियाणा के डीजीपी को एक नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही कहा है कि प्रोफेसर के मानवाधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है। अली खान ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी थी, जिसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।
एनएचआरसी के बयान में कहा गया है, ''राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत को हरियाणा में अशोका विश्वविद्यालय (एक डीम्ड यूनिवर्सिटी) के एक प्रोफेसर की गिरफ्तारी और हिरासत में रिमांड के संबंध में 20 मई, 2025 की एक समाचार रिपोर्ट मिली है। आयोग ने नोट किया है कि रिपोर्ट, जिसमें उन आरोपों का सार है जिनके आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया है, प्रथम दृष्टया पता चलता है कि उक्त प्रोफेसर के मानवाधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है। इसलिए, इसने इसे कथित घटना का स्वत: संज्ञान लेने के लिए उपयुक्त मामला माना है। हरियाणा के पुलिस महानिदेशक को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें एक सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।"
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अली खान महमूदाबाद को अंतरिम जमानत दे दी। जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उनके खिलाफ हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज दो एफआईआर पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने जांच पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनाया है। हालांकि, पीठ ने उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया। पीठ ने उनकी रिहाई पर कुछ शर्तें लगाते हुए आदेश दिया, “हम याचिकाकर्ता को सीजेएम सोनीपत की संतुष्टि के लिए जमानत बांड प्रस्तुत करने की शर्त पर अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हैं।”
सर्वोच्च न्यायालय ने एसोसिएट प्रोफेसर को इस मुद्दे पर कोई और ऑनलाइन पोस्ट या भाषण देने से रोक दिया। मामले के विषय पर कोई लेख या ऑनलाइन पोस्ट नहीं लिखा जाएगा, न ही कोई भाषण दिया जाएगा। इसके अलावा, उन्हें भारतीय धरती पर आतंकवादी हमले या भारत द्वारा दी गई जवाबी प्रतिक्रिया पर कोई टिप्पणी करने से रोका गया। बेंच ने उनसे अपना पासपोर्ट भी जमा करने को कहा है। साथ ही मामले की जांच के लिए 24 घंटे के भीतर एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि एसआईटी में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल होंगे, जो हरियाणा या दिल्ली से संबंधित नहीं हैं और एसआईटी की एक अधिकारी महिला होनी चाहिए। एसआईटी का नेतृत्व महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए और अन्य दो सदस्य एसपी रैंक के होने चाहिए।