समाज बंटेगा, संविधान का अंत; लोकसभा से वक्फ बिल पारित होने पर सोनिया गांधी की चेतावनी
- Sonia Gandhi: वक्फ संशोधन विधेयक के लोकसभा से पारित होने पर सोनिया गांधी ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह बिल समाज में स्थायी ध्रुवीकरण पैदा करने और संविधान का अंत करने की भाजपा की रणनीति का हिस्सा है।

बहुचर्चित वक्फ संसोधन बिल सोमवार देर रात लोकसभा से पारित हो गया है। इस बिल के पारित होते ही भारतीय राजनीति गर्म हो गई है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी ने गुरुवार को वक्फ संशोधन बिल पर जमकर हमला बोलते हुए इसे समाज को बांटने वाली और संविधान को अंत की तरफ ले जाने वाली भारतीय जनता पार्टी की रणनीति का हिस्सा बताया।
कांग्रेस संसदीय समिति को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार देश को रसातल की तरफ ले जा रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो संविधान केवल कागजों के चंद टुकड़ों में रह जाएगा। इनका इरादा संविधान को ध्वस्त कर देने का है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने लोकसभा में इस बिल को बुलडोजर से पारित किया है। हमारी पार्टी की स्थिति स्पष्ट है यह बिल हमारे संविधान पर एक बेशर्म हमला है। इससे हमारा समाज एक स्थायी ध्रुवीकरण की ओर बढ़ जाएगा।
सोनिया गांधी ने संसद में बहस के दौरान कांग्रेस सांसदों को बात न रखने देने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह लोकतंत्र में बहुत ही चिंता का विषय है कि विपक्षी पार्टियों के सांसदों को अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया जाता है। राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष खरगे जी को भी वह कहने की अनुमति नहीं है जो वह कहना चाहते हैं और जो वास्तव में उन्हें कहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपकी तरह मैंने भी देखा है कि कैसे सदन की कार्यवाही विपक्षी सांसदों के कारण नहीं बल्कि सत्ता पक्ष के सांसदों की वजह से नहीं चल पाती है। यह काफी असाधारण और चौंकाने वाला है। यह एक तरीका है जिसके जरिए विपक्षी सांसदों को अपनी आवाज उठाने से रोका जाता है, ताकि सरकार कोई मुश्किल न हो।
सोनिया गांधी ने भाजपा द्वारा प्रस्तावित एक देश एक चुनाव कानून का भी विरोध करते हुए कहा कि हमारी पार्टी इस कानून का भी विरोध करती है। क्योंकि यह संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ है। हमारी अपील है कि इस संविधान संशोधन को भी निरस्त किया जाए।
सोनिया गांधी ने नए संसद भवन का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘अतीत में, हम एक साथ बैठ सकते थे, सहकर्मियों से मिल सकते थे, अन्य दलों के सदस्यों के साथ बातचीत कर सकते थे और मीडिया के साथ जुड़ सकते थे। ये चीजें हम अब नए संसद भवन में नहीं कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम एक लंबे सत्र के अंत की ओर आ रहे हैं जो घटनापूर्ण भी रहा है। बजट पेश हो चुका है और उस पर चर्चा भी हो चुकी है। इसी तरह वित्त और विनियोग विधेयक भी हैं।’’
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर स्थायी समितियों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मुझे खुशी है कि ऐसी चार समितियों की अध्यक्षता करने वाले हमारे सहयोगी सशक्त नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। आपने सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए एक बड़ी आम सहमति बनाने के मकसद से इन रिपोर्टों का उपयोग किया है। ऐसा विशेषकर कृषि, ग्रामीण विकास और शिक्षा से संबंधित समितियों में हुआ है।’’
उनके मुताबिक, ‘‘हमने लोक महत्व के कई मुद्दों पर बहस की भी मांग की थी। दुर्भाग्य से, लेकिन आश्चर्य की बात नहीं, कि सत्तारूढ़ दल ने इनका भी खंडन किया था।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘हम रक्षा और विदेश मंत्रालय के कामकाज पर लोकसभा में विस्तृत चर्चा चाहते थे। हमारे पड़ोस में बढ़ते अशांत राजनीतिक माहौल को देखते हुए ये दोनों विषय अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई।’’
सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘हम हमारी सीमाओं पर चीन द्वारा पेश की गई गंभीर चुनौतियों और 19 जून, 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा उसे दी गई चौंकाने वाली क्लीन चिट पर दोनों सदनों में चर्चा की मांग कर रहे हैं। उनके बयान ने हमारी बातचीत की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, लेकिन उसे भी अस्वीकार कर दिया गया। इस बीच, चीन से आयात तेजी से बढ़ रहा है और हमारे एमएसएमई को नष्ट कर रहा है जो अर्थव्यवस्था में मुख्य रोजगार सृजनकर्ता हैं।’’