वकीलों के विरोध के बाद भी इलाहाबाद HC जाएंगे जस्टिस यशवंत वर्मा! कॉलेजियम की सिफारिश
- प्रेस रिलीज में कहा गया, 'न्यायमूर्ति वर्मा के बंगले में आग लगने के बाद परिजनों ने अग्निशमन विभाग और पुलिस को सूचित किया। आग बुझाए जाने के बाद पुलिस को एक कमरे में 15 करोड़ रुपये की नकदी मिली।'

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के जज यशवंत वर्मा को बड़ी राहत दी है। वकीलों के विरोध के बाद भी उनके इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने का रास्ता साफ हो गया है। एससी के कॉलेजियम ने सोमवार को वर्मा का तबादला इलाहाबाद एचसी करने की सिफारिश की। सार्वजिनक किए गए प्रस्ताव में कहा गया, ‘सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च, 2025 को आयोजित अपनी बैठकों में दिल्ली एचसी के जस्टिस न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की है।’
इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा के तबादले का विरोध किया था। इसने कहा था कि हम कूड़ेदान नहीं हैं। दरअसल, जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास में जलते हुए नोटों का ढेर मिला था। यह घटना तब सामने आई जब उनके नौकर ने आग लगे हुए नोटों को देखा और स्थानीय पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने इसका वीडियो बना लिया था, जो अब सार्वजनिक कर दिया गया है।
‘क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट कूड़ादान है?’
बीते शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति में कहा गया, 'हमें ज्ञात हुआ कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को भ्रष्टाचार में संलिप्तता के आधार पर इलाहाबाद एचसी स्थानांतरित कर दिया है। वर्मा के बंगले में लगी आग बुझाने आए अग्निशमन विभाग को 15 करोड़ रुपये मिले हैं जिसे समाचार पत्रों में प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित किया गया है। न्यायमूर्ति वर्मा के बंगले में आग लगने के बाद परिजनों ने अग्निशमन विभाग और पुलिस को सूचित किया। आग बुझाए जाने के बाद पुलिस को एक कमरे में 15 करोड़ रुपये की नकदी मिली। एससी के कॉलेजियम के इस निर्णय से यह गंभीर प्रश्न उठता है कि क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट कूड़ादान है? यह मामला तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम वर्तमान स्थिति की समीक्षा करते हैं।'
दिल्ली एचसी का जस्टिस वर्मा के खिलाफ ऐक्शन
दिल्ली हाई कोर्ट ने आज ही घोषणा की कि जस्टिस यशवंत वर्मा से अगला आदेश जारी किए जाने तक न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है। एचसी की ओर से जारी एक नोट में यह घोषणा की गई। उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर वाद सूची से जुड़े एक अन्य नोट में कहा गया कि खंडपीठ-तृतीय का ‘कोर्ट मास्टर’ सूचीबद्ध मामलों में तारीखें देगा, जिसका प्रभार न्यायमूर्ति वर्मा के पास था। दिल्ली उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की ओर से सौंपी गई जांच रिपोर्ट में आधिकारिक संचार से संबंधित सामग्री भी शामिल थी जिसके अनुसार भारतीय मुद्रा की 4-5 अधजली गड्डियां पाई गईं। न्यायमूर्ति वर्मा ने नकदी मिलने संबंधी आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य ने आवास के स्टोर रूम में कभी कोई नकदी नहीं रखी।