Delhi HC grants bail to Man who is in jail since 2018 for killing woman who found alive जो महिला जिंदा है, उसकी हत्या के आरोप में 7 साल से जेल में बंद था शख्स, दिल्ली हाई कोर्ट ने दी जमानत, Ncr Hindi News - Hindustan
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जो महिला जिंदा है, उसकी हत्या के आरोप में 7 साल से जेल में बंद था शख्स, दिल्ली हाई कोर्ट ने दी जमानत

  • सोनी की लाश मिलने के बाद 17 मई, 2018 को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि कुछ ही वक्त बाद सोनी को जीवित पाया गया और जिस महिला का शव मिला था, उसकी पहचान आज तक नहीं हो पाई है।

Sourabh Jain पीटीआई, नई दिल्लीTue, 22 April 2025 08:33 PM
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जो महिला जिंदा है, उसकी हत्या के आरोप में 7 साल से जेल में बंद था शख्स, दिल्ली हाई कोर्ट ने दी जमानत

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अजीबोगरीब मामले की सुनवाई करते हुए एक ऐसे शख्स को जमानत दे दी, जो एक लड़की की हत्या के आरोप में पिछले सात साल से जेल में बंद है। खास बात यह है कि शख्स को जिस लड़की की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, वह कुछ वक्त बाद ही जीवित मिल गई। जबकि जिस लड़की की लाश बरामद हुई थी, उसकी पहचान अबतक रहस्य बनी हुई है और अबतक उसकी पहचान नहीं हो सकी है। जिसके बाद इस मामले की जांच में ढिलाई बरतने को लेकर हाई कोर्ट ने पुलिस की भी खिंचाई की।

शख्स को जमानत देते हुए जस्टिस गिरीश कठपालिया ने 21 अप्रैल को कहा, 'कम से कम यह तो कहना ही होगा कि इस मामले की जांच ने इस अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया है।' आगे उन्होंने कहा, 'अभी तक मृतक की पहचान नहीं हो पाई है और जहां तक आखिरी बात देखे जाने की परिकल्पना का सवाल है, शख्स को आखिरी बार सोनी उर्फ ​​छोटी के साथ देखा गया था, जो जीवित पाई गई है।'

हत्या के आरोप में जेल में बंद आरोपी मंजीत केरकेट्टा ने इस आधार पर जमानत मांगी कि हालांकि वह 2018 से जेल में बंद है, लेकिन अबतक किसी को इस बात का पता नहीं है कि आखिर हत्या किसकी हुई थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस कठपालिया ने कहा, 'यह बेहद दुखद है कि एक इंसान ने 7 साल पहले इतने वीभत्स तरीके से जान गंवा दी थी, उसके शरीर को टुकड़ों में काट दिया गया था, लेकिन आज तक मृतक की पहचान भी नहीं हो पाई है।'

घटना के वक्त शव की पहचान सोनी उर्फ ​​छोटी के रूप में हुई थी, जिसके बाद 17 मई, 2018 को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि कुछ ही वक्त बाद सोनी को कथित तौर पर जीवित पाया गया था और जिस महिला का शव मिला था, उसकी पहचान आज तक नहीं हो पाई है।

इस मामले में पुलिस ने लगभग पांच आरोपपत्र दाखिल किए थे। लेकिन सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि 'यह केवल जांचकर्ता की ही नहीं, बल्कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की भी जिम्मेदारी थी कि उन्हें जांच की निगरानी करनी थी। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने मेहनत नहीं की।'

अभियोजक पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि आखिरी बार देखे जाने के सबूत आरोपी को हत्या से जोड़ते हैं। अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि पीड़िता के शव को ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल किया गया बैग आरोपी के पास से बरामद किया गया था। उन्होंने हत्या का आरोप आरोपी पर मढ़ते हुए कहा कि कॉल डेटा रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह अपराध स्थल पर मौजूद था। इसके विपरीत, व्यक्ति के वकील ने कहा कि उपस्थिति सेल फोन टावरों से ली गई थी, जो एक बड़े क्षेत्र को कवर करते थे और यह नहीं कहा जा सकता कि वह हत्या के समय सटीक अपराध स्थल पर मौजूद था।

अदालत ने कहा कि आरोपी को सिर्फ इसलिए स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि पीड़िता की पहचान नहीं हो सकी है। अदालत ने कहा, 'इसलिए, आवेदन स्वीकार किया जाता है और निर्देश दिया जाता है कि आरोपी/आवेदक को तत्काल जमानत पर रिहा किया जाए, बशर्ते वह 10,000 रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पेश करे।'