रखरखाव के लिए फ्लाईओवर को गोद देगी सरकार
- लोक निर्माण विभाग मंत्री प्रवेश वर्मा ने सीएसआर के तहत कॉरपोरेट, संस्थानों को जोड़ने के लिए बना रही नीति

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली में फ्लाईओवर के बेहतर रखरखाव के लिए फ्लाईओवर अडॉप्शन पॉलिसी (गोद देने की नीति) बना रही है। सरकार फ्लाईओवर के नीचे खाली जगहों को विकसित करने, उसके मरम्मत कार्य से लेकर उसके सुरक्षा की जिम्मेदारी गोद लेने वालों को दी जाएगी। गोद लेने वालों में पहली प्राथमिकता कॉरपोरेट कंपनियों को दी जाएगी। उसके बाद संस्थान, कॉलेज या अन्य स्वयंसेवी संस्थाओ को भी आगे आने के लिए कहा जाएगा। इसके बदले उन्हें फ्लाईओवर पर सिर्फ अपने विज्ञापन लगाने की अनुमति दी जाएगी। लोक निर्माण विभाग मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि हम फ्लाईओवर अडॉप्शन नीति पर काम कर रहे है। इसका मकसद फ्लाईओवर का बेहतर रखरखाव के साथ सरकारी खर्च को कम करना है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में कुल 104 छोटे बड़े फ्लाईओवर है। अधिकांश फ्लाईओवर के नीचे अतिक्रमण है, टाइल टूटी हुई है। कुछ जगहों पर तो अवैध पार्किंग या फिर लोग झुग्गी डालकर रहने लगे है। गोद लेने वाली नीति में यह सुनिश्चित हो सकेगा कि फ्लाईओवर के नीचे बेहतर सौंदर्यीकरण हो। समय-समय पर मरम्मत के साथ अतिक्रमण से भी बचाया जा सकेगा। उसके बदले कंपनियां फ्लाओवर पर सिर्फ अपने विज्ञापन लगा पाएंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि एक-एक फ्लाईओवर गोद दिया जाएगा। फ्लाईओवर अडॉप्शन नीति में फ्लाईओवर के जोन बनाएं जाएंगे। यानि एक जोन में 5-7 फ्लाईओवर होंगे। गोद लेने वाले कॉरपोरेट या संस्थान पूरे जोन को गोद लेंगे। जोन बनाने का कारण यह है कि लोग सिर्फ अच्छे इलाकों का ही फ्लाईओवर गोद ना ले। वह दक्षिणी दिल्ली के साथ पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पूर्वी जिले के फ्लाईओवर को भी गोद ले। अच्छे खराब सभी इलाकों को जोन के हिसाब से बांटा जाएगा। मंत्री ने कहा कि हम अच्छी देखभाल करने वाली कंपनियों की रेटिंग भी देंगे।
एफओबी पर लाएंगे विज्ञापन नीति
लोक निर्माण विभाग मंत्री प्रवेश वर्मा ने बताया कि दिल्ली में फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) विज्ञापनों के लिए एक उपयुक्त जगह है। दिल्ली के कुछ हिस्सों में एफओबी पर विज्ञापन दिखाई देते है। मगर एफओबी पर विज्ञापन को लेकर एकीकृत नीति नहीं होने के कारण कुछ प्राइम लोकेशन को छोड़कर दूसरी जगह विज्ञापन नहीं मिल पाते है। दिल्ली में 115 एफओबी है। उसपर विज्ञापन के लिए एक नीति बनाई जाएगी। विज्ञापन नीति को लेकर एमसीडी के साथ बैठक हो चुकी है। हम उनके साथ विज्ञापन से मिलने वाले राजस्व शेयर करेंगे।
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