आंधी-पानी से लुढ़का पारा, जिम्मेदारों की खुली पोल
Balia News - बलिया में सोमवार की शाम मौसम अचानक बदल गया। तेज आंधी और बारिश ने शहर में जलजमाव कर दिया। इससे सरकारी कार्यालयों में भी पानी भर गया। बिजली की सप्लाई ठप हो गई। किसान बेमौसम बारिश से परेशान हैं, खासकर...

बलिया, संवाददाता। जिले में मौसम का मिजाज सोमवार की शाम से ही बदलने लगा और रात करीब दस बजे तेज आंधी , गरज-तड़प के साथ झमाझम बारिश हुई। बेमौसम बारिश से एक ओर गर्मी से तो राहत मिली, वहीं दूसरी और जल जमाव से निजात के लिए मानसून पूर्व तैयारी के दावों की पोल खुल गई। कलक्ट्रेट, टाउन से लगायत कई सरकारी कार्यालय के परिसर में जल जमाव हो गया। शहर के नीचले मुहल्लों की कौन कहे वीआईपी कॉलोनी में जाने वाली सड़कों पर पानी जमा हो गया, जिससे आवागमन में बेहद परेशानी होती दिखी। आंधी में तार और पोल धराशायी होने से शहर के आधा दर्जन से अधिक मुहल्लों में पूरी रात बिजली गुल रही।
वहीं कस्बा और गांवों में भी बिजली बेपटरी हो गई। हालांकि बिजली विभाग के मैराथन प्रयास से अधिकांश जगह मंगलवार की शाम तक बिजली आपूर्ति चालू हो गई। मंगलवार को 50 किमी रफ्तार से हवाएं चली, जिससे तेज धूप बेअसर रहा। बेमौसम बारिश में सर्वाधिक परेशानी मांगलिक आयोजन वाले परिवारों के लोगों को हुई। स्थिति यह रहा कि टेंट, तम्बू तक उखड़ गए, सजावट आदि सब आंधी में उड़ गए। सोहांव ब्लॉक के चौरा कथरिया निवासी रमेश सिंह, बांसडीह के दिउली निवासी अखिलेश सिंह, बघौली निवासी ब्रहमानंद तिवारी, अमडरिया निवासी धीरेन्द्र राय ने बताया कि अंग्रेजी का मई और हिंदी का वैशाख महीने में भीषण गर्मी और लू के कारण धूल उड़ने से लोग घरों से निकलने में परहेज करते हैं। लेकिन इस वर्ष ऐसा नहीं हो रहा है। कभी एक सप्ताह तो दो तीनों के अंतराल पर धूप-कभी छांव, फिर आंधी के साथ हो रही बारिश और कहीं कहीं ओलावृष्टि ने जायद फसलों के साथ सब्जी और आम के उत्पादन को प्रभावित किया है। हालांकि कृषि और उद्यान विभाग विभाग 15 से 20 फीसदी हानि की संभावना व्यक्त कर रहा है। लेकिन वास्तिवकता यह है कि आम का उत्पादन 50 फीसदी कम होगा। रामपुर उदयभान के किसान महेश यादव का कहना है कि वैशाख में तपन नहीं हो रहा है और यही हाल रहा तो खरीफ की फसल अच्छी नहीं होगी। जब भीषण गर्मी होती है तभी अच्छी वर्षा होती है। इन सबके बीच बेमौसम बारिश की वजह मौसम विभाग चक्रवाती तूफान बता रहा है। किसानों की मानें तो बेमौसम बरसात से सबसे अधिक मक्का की खेती प्रभावित हुई है।
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