पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में फंसे लखनऊ के लोग, रिश्तेदारों से मिलने गए थे बॉर्डर पार
दोनों देशों के बीच तनाव के बाद यहां रहने वाले सिंधी परिवारों के जो रिश्तेदार पाकिस्तान में हैं उनकी फिक्र सता रही है। विभाजन के समय पाकिस्तान से जान बचाकर 5000 सिंधी परिवार लखनऊ आए थे। जब दोनों देशों के बीच स्थितियां सामान्य हुईं तो लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत आने वाले सिंधी परिवारों की संख्या बढ़ी।

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अपने रिश्तेदारों से मिलने गए कुछ नागरिक वहीं अटक गए हैं। उनके पास नागरिकता भारत की है। पहलगाम आतंकी घटना के बाद बार्डर बंद कर दिया गया है। वहां फंसे लोगों ने फोन पर अपने परिवारों को इसकी सूचना दी है।
आलमबाग में रहने वाले वासुराम सिंध गए हुए थे। सिंधी समाज के लोगों ने बताया कि वापसी में उनको वहां के वाघा बॉर्डर पर रोक लिया गया। उनके अलावा तीन अन्य लोग भी उसी बीच सिंध प्रांत गए थे।
इसी तरह कृष्णा नगर निवासी रमेश लाल परिवार सहित अपनी भतीजी की शादी में पाकिस्तान गए थे। 25 अप्रैल को पाकिस्तान सिंध के घोटाकी पन्नू आकिल मोहल्ले में विवाह समारोह था। वापसी में लाहौर में फंस गए हैं। उनके साथ गए नटखेड़ा के हरीश लाल भी लाहौर में फंसे हुए हैं। घर परिवार के लोग सुबह शाम फोन पर हालचाल ले रहे हैं। साथ ही घबराहट भी है कि कहीं यह इंतजार लम्बा न खिंच जाए।
तनाव के बीच चिंता बढ़ी, घर वाले परेशान
दोनों देशों के बीच तनाव के बाद यहां रहने वाले सिंधी परिवारों के जो रिश्तेदार पाकिस्तान में हैं उनकी फिक्र सता रही है। विभाजन के समय लखनऊ में पाकिस्तान से जान बचाकर 5000 सिंधी परिवार आए थे। उसके बाद जब दोनों देशों के बीच स्थितियां सामान्य हुईं तो लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत आने वाले सिंधी परिवारों की संख्या बढ़ी। 2018 के बाद से नागरिकता तेजी से मिलने लगी। पिछले छह वर्षों के दौरान 400 से अधिक लोगों को नागरिकता मिल चुकी है। बावजूद इसके ऐसे कई परिवार हैं जो पाकिस्तान से आकर यहां बसना चाह रहे हैं। वहां अल्पसंख्यकों की स्थिति अच्छी नहीं है।