बिहार में हर दिन 10,000 से ज्यादा लोग हो रहे साइबर ठगी के शिकार, इन देशों में नौकरी दिलाने के नाम पर झांसा
Cyber Fraud In Bihar: साइबर ठगी के सबसे ज्यादा शिकार ग्रामीण इलाकों के लोग बने हैं। पिछले एक साल में ग्रामीण क्षेत्र के 30 लाख लोग साइबर ठगी के शिकार बने। लॉटरी, ऑफर, फ्री टूर पैकेज आदि के नाम पर फर्जी कॉल्स, मैसेज देकर बैंक अकाउंट, आधार नंबर लेकर ठगी की गई।

Cyber Fraud In Bihar: बिहार में एक साल की अवधि में स्मार्ट फोन का उपयोग करने वाले करीब 40 लाख लोग साइबर ठगी का शिकार बने हैं। यानी प्रतिदिन औसतन 10 हजार 958 लोगों को साइबर अपराधियों ने तरह-तरह के तरीके से अपने जाल में फंसाया। दूरसंचार विभाग के अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक के आंकड़ों से यह चिंताजनक तस्वीर उजागर हुई है। राज्य में करीब साढ़े पांच करोड़ लोगों के पास स्मार्ट फोन हैं।
दूरसंचार विभाग के मुताबिक, बिहार के सात करोड़ लोगों के पास कोई न कोई फोन है। लेकिन, साइबर ठगी के शिकार केवल स्मार्ट फोन वाले हो रहे हैं। स्मार्ट फोन उपभोक्ता का नंबर साइबर ठगों के पास कई माध्यमों से पहुंच जाता है। साइबर अपराधी ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान डिजिटल पेमेंट, एटीएम कार्ड से पेमेंट आदि के माध्यम से मोबाइल नंबर को प्राप्त कर ठगी करते हैं।
साइबर ठगी के सबसे ज्यादा शिकार ग्रामीण इलाकों के लोग बने हैं। पिछले एक साल में ग्रामीण क्षेत्र के 30 लाख लोग साइबर ठगी के शिकार बने। लॉटरी, ऑफर, फ्री टूर पैकेज आदि के नाम पर फर्जी कॉल्स, मैसेज देकर बैंक अकाउंट, आधार नंबर लेकर ठगी की गई।
गोल्डन ट्राइंगल देश नौकरी के नाम पर देते हैं झांसा
गोल्डन ट्राइंगल देश यानी थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम, म्यांमार और लाओस में साइबर ठगों का बड़ा नेटवर्क है। यहां से बिहार के सीवान, गोपालगंज, वैशाली, बक्सर, दरभंगा, कटिहार, मधुबनी आदि से नौकरी के नाम पर युवाओं को झांसा देकर बुलाया जाता है। इन युवाओं से क्षेत्रीय भाषा में बात करवाकर विभिन्न तरीके से ठगी की जाती है।
संचार साथी एप से पकड़ना है आसान
दूरसंचार विभाग ने मोबाइल कॉल के जरिए ठगी को पकड़ने के लिए संचार साथी एप बनाया है। इससे मोबाइल यूजर की तमाम जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस एप पर तमाम मोबाइल कंपनी के सिम पंजीकृत हैं। एप से यह पकड़ में अता है कि कॉल कहां से आया है। साथ ही यह जानकारी भी जुटायी जा सकती है कि किस उपभोक्ता के पास कितने सिम हैं। संबंधित सिम से कब, कहां, कितनी देर बातें हुई। संबंधित सिम से कहां पर फोन किया गया। अगर कोई उपभोक्ता इस एप पर पंजीकृत होते हैं तो उनके मोबाइल गुम होने पर मोबाइल को ढूंढ़ना भी आसान होता है।
दूरसंचार ने अबतक की कार्रवाई
- राज्य के 71 हजार सिम विक्रेताओं को काली सूची में डाला गया
- एक लाख 30 हजार सिम से जुड़े टेंपलेट ब्लैक लिस्टेड किए गए
- तीन लाख 13 हजार मोबाइल हैंडसेट को बंद किया गया
- दो करोड़ 75 लाख मोबाइल कनेक्शन को डिस्कनेक्ट किया गया
- 12 लाख से अधिक व्हाटसअप अकाउंट को बंद किया गया
- 11 लाख बैंक खातों को बंद करने की कार्रवाई हुई
- 186 एसएमएस समूह को काली सूची में डाला गया
दूर संचार विभाग के उप महानिदेशक, सूर्य प्रकाश ने कहा कि संचार साथी एप के माध्यम से साइबर ठगी के मामले पकड़ में आ रहे हैं। जिन लोगों के पास स्मार्ट फोन हैं, उन्हें सावधानी बरतने की जरूरत है। संचार साथी एप के आने से साइबर ठगों तक पहुंचना आसान हुआ है। कई देशों में साइबर ठग का बड़ा गिरोह है। पकड़ में आने के बाद ऐसे सिम और मोबाइल सेट को ब्लॉक किया जाता है।