RBI गवर्नर के बयान के बाद गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों के शेयरों में आई जान
- गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों के शेयरों में फिर जान आ गई है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि नए दिशानिर्देशों का लक्ष्य सख्ती नहीं, बल्कि पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों के शेयरों में फिर जान आ गई है। करीब 10 पर्सेंट तक टूटने के बाद थोड़ी रिकवरी तब आई है जब, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि नए दिशानिर्देशों का लक्ष्य "सख्ती" नहीं, बल्कि पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नियमों का स्वरूप "विनियमित संस्थाओं की जोखिम वहन क्षमता" के अनुरूप होगा।
मॉनेटरी पॉलिसी के ऐलान के बाद क्या हुआ था
आरबीआई ने सोने के गहनों को गिरवी रखकर लोन (गोल्ड लोन) देने वाले संस्थानों (बैंक, एनबीएफसी आदि) के लिए दिशानिर्देश जारी करने की घोषणा की तो मुथूट फाइनेंस के शेयर सुबह सवा 11 बजे के करीब 10% गिरकर ₹2,063 पर पहुंच गए। वहीं, आईआईएफल फाइनेंस के शेयर 6.66% गिरकर ₹311.25 पर आ गए। मण्णापुरम फाइनेंस के शेयर भी करीब 3% टूटकर ₹222.33 पर आ गए थे।
स्पष्टिकरण के बाद क्या है हाल
दोपहर पौने दो बजे के करीब मुथूट फाइनेंस के शेयर करीब 5.5% गिरकर ₹167 पर ट्रेड कर रहे थे। वहीं, आईआईएफल फाइनेंस के शेयर 2.50% गिरकर ₹325.25 पर थे। मण्णापुरम फाइनेंस के शेयर भी करीब 1.86% टूटकर ₹225 पर कारोबार कर रहे थे।
बता दें भारत में सोना न केवल निवेश का बल्कि आपातकालीन फंडिंग का जरिया है। ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोग अक्सर सोने को गिरवी रखकर तत्काल कर्ज लेते हैं। आरबीआई का यह कदम वित्तीय स्थिरता और ग्राहक हितों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में है। हालांकि, गोल्ड लोन से जुड़े नए नियमों का स्वरूप तभी स्पष्ट होगा जब दिशानिर्देश जारी होंगे। निवेशकों और संस्थानों को इन परिवर्तनों के लिए तैयार रहना चाहिए।
नए दिशानिर्देशों की आवश्यकता क्यों पड़ी
अब तक, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (NBFC) गोल्ड लोन में बैंकों की तुलना में ज्यादा आक्रामक रही हैं, जिससे ऋण डिफॉल्ट और ग्राहक शिकायतों का जोखिम बढ़ा है। नए नियमों में लोन-टू-वैल्यू (LTV) सीमा, सोने की कीमत के आकलन की प्रक्रिया, और ऋण वसूली के तरीकों को स्पष्ट किया जा सकता है।
ग्राहकों के लिए क्या बदलेगा: कर्ज की शर्तें पारदर्शी होंगी, जिससे ऋण लेते समय छिपे शुल्क या ब्याज दरों का खतरा कम होगा। बैंक/एनबीएफसी को सोने के मूल्य में उतार-चढ़ाव के प्रति ज्यादा सतर्क रहना होगा।