काैन हैं जग्गी, जानें डीएलएफ कैमेलियास के लक्जरी फ्लैट की पूरी कहानी
- जेनसोल इंजीनियरिंग के सह-प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी पर आरोप है कि कंपनी के फंड का इस्तेमाल कर गुरुग्राम के 'द कैमेलियास' में 7,430 वर्ग फुट का यह सुपर लक्जरी फ्लैट 37.92 करोड़ रुपये में खरीदा।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने निर्माण और इंजीनियरिंग कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग में कॉर्पोरेट गवर्नेंस के उल्लंघन के मामले में एक दिलचस्प खुलासा किया है। कंपनी के सह-प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी पर आरोप है कि उन्होंने कंपनी के फंड का इस्तेमाल कर गुड़गांव के DLF कैमेलियास में एक लक्जरी अपार्टमेंट खरीदा।
रियल एस्टेट डेटा एनालिटिक्स फर्म CRE Matrix के दस्तावेजों के अनुसार, जग्गी ने यह 7,430 वर्ग फुट का अपार्टमेंट 37.92 करोड़ रुपये की समझौता राशि पर खरीदा। इस संपत्ति का रजिस्ट्रेशन 4 अगस्त, 2023 को कैपब्रिज वेंचर्स LLP (जिसमें अनमोल और उनके भाई पुनीत सिंह जग्गी डिजाइनेटेड पार्टनर हैं) के नाम पर किया गया।
2.65 करोड़ रुपये का स्टाम्प ड्यूटी
दस्तावेजों के मुताबिक, इस डील पर 2.65 करोड़ रुपये का स्टाम्प ड्यूटी भरा गया और अपार्टमेंट की पेमेंट 30 सितंबर, 2022 को की गई। इस फ्लैट में चार कार पार्किंग स्लॉट्स भी शामिल हैं।
DLF कैमेलियास क्या है
'द कैमेलियास' गुरुग्राम के सबसे एक्सक्लूसिव रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स में से एक है, जहां अमीरों और बड़े बिजनेसमैन के लिए हाई-एंड अपार्टमेंट्स उपलब्ध हैं।
SEBI के इंटरिम ऑर्डर में क्या है?
6 अक्टूबर, 2022 को कैपब्रिज वेंचर्स ने DLF लिमिटेड को 42.94 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। यह अपार्टमेंट पहले अनमोल सिंह जग्गी की मां जस्मिंदर कौर के नाम बुक था, जिन्होंने 5 करोड़ रुपये बुकिंग अडवांस के तौर पर दिए थे।
कैपब्रिज द्वारा पूरी पेमेंट करने के बाद, यह फ्लैट उसके नाम पर अलॉट किया गया और DLF ने 5 करोड़ रुपये वापस कर दिए, लेकिन SEBI के अनुसार, यह रकम एक अन्य संबंधित पार्टी, मैट्रिक्स गैस एंड रिन्यूएबल्स को ट्रांसफर कर दी गई।
SEBI ने क्या कार्रवाई की?
SEBI ने फंड डायवर्जन और गवर्नेंस लैप्स के मामले में जेनसोल इंजीनियरिंग और जग्गी भाइयों को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है। रेगुलेटर ने अपने इंटरिम ऑर्डर में कहा कि दोनों प्रमोटर्स ने लिस्टेड कंपनी को अपनी व्यक्तिगत संपत्ति समझ लिया था।
SEBI के मुताबिक, जग्गी भाइयों ने सिर्फ यह लक्जरी फ्लैट ही नहीं खरीदा, बल्कि एक महंगा गोल्फ सेट, क्रेडिट कार्ड बिल और रिश्तेदारों को पैसे ट्रांसफर करने में भी कंपनी के फंड का दुरुपयोग किया। SEBI ने यह भी कहा कि प्रमोटर्स ने कंपनी को अपनी "पिगी बैंक" की तरह चलाया, शेयरहोल्डर्स के हितों की अनदेखी करते हुए संबंधित पार्टियों को फंड ट्रांसफर किए।